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Nitish Kumar: बीजेपी के सामने नीतीश ने रखी थीं 3 शर्तें, मीडिया की खबरों के मुताबिक 2 नहीं मानी गईं

Nitish Kumar: खबरों के मुताबिक नीतीश ने बीजेपी के साथ फिर बिहार में सरकार गठन पर शर्त रखी थी कि उनको फिर सीएम बनाया जाए। इसके अलावा नीतीश ने बीजेपी के सांसद सुशील मोदी को फिर डिप्टी सीएम बनाने और लोकसभा के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव कराने की शर्त भी रखी थी।

पटना। नीतीश कुमार ने आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन को छोड़कर बीजेपी का दामन फिर थाम लिया और 9वीं बार बिहार के सीएम बन गए। अब मीडिया की खबरों के मुताबिक नीतीश ने बीजेपी के साथ फिर आने के लिए 3 शर्तें रखी थीं, लेकिन बीजेपी ने उनकी सिर्फ 1 ही शर्त मानी। खबरों के मुताबिक नीतीश ने बीजेपी के साथ फिर बिहार में सरकार गठन पर शर्त रखी थी कि उनको फिर सीएम बनाया जाए। इसके अलावा नीतीश ने बीजेपी के सांसद सुशील मोदी को फिर डिप्टी सीएम बनाने और लोकसभा के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव कराने की शर्त भी रखी थी। बीजेपी ने उनको सीएम बनाने की शर्त तो मान ली, लेकिन बाकी दोनों शर्तें नहीं मानीं। नतीजे में सुशील मोदी की जगह बीजेपी ने नीतीश के धुर विरोधी चेहरों सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनवाया और बिहार में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव न कराने की भी साफ बात नीतीश से कह दी।

नीतीश कुमार और लालू की पार्टी आरजेडी के बीच इतनी तनातनी हो गई थी कि उस गठबंधन में उनका रहना मुश्किल हो गया था। इस्तीफा देने के बाद खुद नीतीश कुमार ने मीडिया से कहा था कि उनको काम करने में मुश्किल हो रही थी। ये खबरें भी छनकर आई थीं कि लालू यादव ने नीतीश कुमार की जेडीयू में तोड़फोड़ की कोशिश की। हालांकि, इस तरह का आरोप नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर लालू यादव या उनकी पार्टी के किसी नेता पर नहीं लगाया है। अब जानकारी के मुताबिक 10 फरवरी को नीतीश कुमार विधानसभा में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने जा रहे हैं। उधर, लालू के बेटे और नीतीश की सरकार में डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव ये दावा कर ही चुके हैं कि अभी खेल बाकी है।

नीतीश के इस्तीफा देने से पहले ऐसी खबरें आई थीं कि लालू यादव इस कोशिश में हैं कि जेडीयू के 16 विधायकों का इस्तीफा करा दिया जाए। ताकि नीतीश कुमार और बीजेपी के पास बहुमत न रहे। वहीं, ये खबर भी थी कि कांग्रेस के 19 में से 10 विधायकों को बीजेपी अपने पाले में कर सकती है। फिलहाल सबकी नजर इस पर है कि 10 फरवरी को इस तरह का कोई गेम होता है या नीतीश कुमार आसानी से बहुमत साबित कर खेला अभी बाकी होने के तेजस्वी यादव के दावे को ध्वस्त कर देते हैं।