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UP Election: माया के कोर वोट बैंक में सेंधमारी के लिए BJP की खास रणनीति, इस नेता को दी जिम्मेदारी

UP Election: यूपी में आने वाले विधानसभा चुनावों के लेकर सियासत तेज होती जा रही है। साल 2017 में बीजेपी ने यूपी में गैर-जाटव दलित और गैर-यादव ओबीसी वोटों में सेंध लगाते हुए चुनाव लड़े थे, और इसके साथ बड़ी सफलता भी हासिल की थी।

mayawati and yogi

नई दिल्ली। यूपी में आने वाले विधानसभा चुनावों के लेकर सियासत तेज होती जा रही है। साल 2017 में बीजेपी ने यूपी में गैर-जाटव दलित और गैर-यादव ओबीसी वोटों में सेंध लगाते हुए चुनाव लड़े थे, और इसके साथ बड़ी सफलता भी हासिल की थी। लेकिन इस बार हो रहे चुनावों में बीजेपी ने और आक्रामक रणनीति अपनाने का फैसला लिया है। माना यह जा रहा है कि बीजेपी इन चुनावों में मायावती के कोर वोट बैंक में सेंध लगाने के मूड में हैं। दरअसल यूपी चुनाव में अभी तक काफी कमजोर दिख रही है। वहीं आगामी चुनावी में बीजेपी और सपा में मुख्य मुकाबला देखा जा रहा है। ऐसे में बीजेपी ने वोटों का बंटवारा करने के लिए जाटव समुदाय के बीच संपर्क बढ़ा दिया है।

CM Yogi

यह समुदाय बसपा का कोर वोटर माना जाता रहा है। कहा जा रहा है कि इस समुदाय के कम से कम 50 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया है। यदि ऐसा होता है तो यह बीजेपी के लिए काफी बड़ी कामयाबी के रूप होगी, और इसका असर नतीजों में भी देखा जा सकेगा। प्रदेश में जाटव समुदाय के 10 फीसदी के करीब वोट हैं, जो बड़ी संख्या है। बीजेपी नेताओं का मानना है कि बसपा इन चुनावों में काफी कमजोर दिख रही है, वहीं उसकी जमीनी पकड़ खोती जा रही है। ऐसे में जाटव मतदाताओं अपने पाले में लाने का यह सबसे सही वक्त माना जा रहा है।

mayawati bsp

बीजेपी नेताओं का कहना है कि वे जाटव समुदाय में यह संदेश देंगे कि बसपा कमजोर है और ऐसे में सपा को फायदा हो सकता है। जिस वजह से उन्हे रोकने के लिए वे बीजेपी के साथ आ जाएं। उत्तराखंड की गवर्नर रहीं बेबी रानी मौर्य को भाजपा ने राज्य में जाटव फेस के तौर पर पेश करने का फैसला लिया है। हालांकि इसकी शुरुआत पहले ही कर दी गई है। 19 अक्टूबर को बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चे की मेरठ में बैठक भी की थी। जिसमें हिस्सा लेने के लिए बेबी रानी मौर्य भी पहुंची थीं और यहां लगे पोस्टरों में उनके नाम के साथ जाटव भी जोड़ा गया था। इससे साफ संकेत था कि भाजपा उनकी मौजूदगी और जाटव नाम लिखकर संबंधित समुदाय को संदेश देने की जुगत में लगी हुई है।