मुंबई। माओवादी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार और सजायाफ्ता जीएन साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। जीएन साईबाबा डीयू के पूर्व प्रोफेसर हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वाल्मीकि एसए मेनेजेस की बेंच ने माओवादी गुट से संबंध के मामले में आरोपी जीएन साईबाबा और 5 अन्य आरोपियों को मिली सजा को पलट दिया। इन सभी पर यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया था। जीएन साईबाबा समेत सभी आरोपियों को साल 2014 में गिरफ्तार किया गया था।
GN Saibaba, Hem Mishra, Mahesh Tirkey, Vijay Tirkey, Narayan Sanglikar, Prashant Rahi and Pandu Narote (deceased) acquitted by the Nagpur Bench of Bombay High Court in a Maoist link case
The judgment was delivered by a bench of Justices Vinay Joshi and Valmiki SA Menezes who…
— ANI (@ANI) March 5, 2024
बॉम्बे हाईकोर्ट ने जीएन साईबाबा के साथ महेश तिर्की, विजय तिर्की, हेम मिश्रा, प्रशांत राही, पांडु नरोटे और नारायण सांगलीकर को बरी करने का आदेश दिया। पांडु नरोटे की पहले ही मौत हो चुकी है। इस मामले की सुनवाई बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में हो रही थी। निचली अदालत ने सभी को सजा सुनाई थी, लेकिन अभियोजन पक्ष के सबूत हाईकोर्ट में टिक नहीं सके। जीएन साईबाबा अभी नागपुर सेंट्रल जेल में हैं। हाईकोर्ट ने सभी को 50-50 हजार के मुचलके की राशि पर रिहा करने का आदेश दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को अब महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।
जीएन साईबाबा का नाम गोकरकोंडा नागा साईबाबा है। वो लेखक के अलावा मानवाधिकार संबंधी कार्य भी करते रहे हैं। कई सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में जीएन साईबाबा ने हिस्सा लिया था। जीएन साईबाबा आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के मूल निवासी हैं। वहां के अमलापुरम कस्बे में उनका जन्म हुआ था। पोलियो के कारण जीएन साईबाबा चल-फिर नहीं पाते। इसके लिए उनको व्हीलचेयर का इस्तेमाल करना पड़ता है। जीएन साईबाबा की रिहाई से अभियोजन पक्ष को तगड़ा झटका लगा है। अब सबकी नजर इस पर है कि अगर महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देती है, तो वहां से क्या फैसला साईबाबा के पक्ष में आता है या नहीं।