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पैरामिलिट्री कैंटीन में सिर्फ स्‍वदेशी सामान बेचने का आदेश गृह मंत्रालय ने लिया वापस

गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि जो सामान स्‍वदेशी नहीं हैं या जिन्‍हें पूरी तरह से आयातित उत्‍पादों से बनाया जाता है, उन्‍हें पैरामिलिट्री कैंटीन में नहीं बेचा जाएगा।

नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने सोमवार को केंद्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों की कैंटीन में सिर्फ स्‍वदेशी सामान बेचने के आदेश को वापस ले लिया है। इससे पहले सोमवार को गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि जो सामान स्‍वदेशी नहीं हैं या जिन्‍हें पूरी तरह से आयातित उत्‍पादों से बनाया जाता है, उन्‍हें पैरामिलिट्री कैंटीन में नहीं बेचा जाएगा। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ कहा था कि केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार की कैंटीनों में अब केवल मेड इन इंडिया सामान ही बेचे जाएंगे। इसके अलावा, फेरेरो रोशेर, रेड बुल, विक्टोरिनोक्स, सफिलो (पोलरॉइड कैमरा) जैसे उत्पादों का आयात करने वाली सात कंपनियों को डी-लिस्ट कर दिया गया है। केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार कैंटीन ने कई कंपनियों के उत्पादों को भी लेने से इनकार कर दिया है।


दरअसल इन कंपनियों से कुछ जरूरी जानकारी मांगी गई थी जिसे इन्होंने तय समय तक नहीं दिया। केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार ने सभी उत्पादों को तीन श्रेणियों में बांट दिया था। हालांकि मंत्रालय ने अब इस आदेश को वापस ले लिया है।

गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि भारत सरकार स्वदेशी सामान केवल केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार के भंडारों के माध्यम से ही बेचा जाएगा। बता दें कि केंद्रीय पुलिस कैंटीन का इस्तेमाल सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, एनएसजी और असम राइफल्स में सेवारत लगभग 10 लाख कर्मियों के लगभग 50 लाख परिवार के सदस्य करते हैं।