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29 दिसंबर को होनी थी किसानों की सरकार से बातचीत, लेकिन अब केंद्र ने दी नई तारीख

Farmers Meeting: किसान नेता राकेश टिकैत(Rakesh Tikait) ने कहा कि हम सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं, अब चर्चा कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर होनी चाहिए। अभी हमारे आंदोलन को 33 दिन हुए हैं, सरकार नहीं मानी तो 66 दिन भी हो जाएंगे।

नई दिल्ली। किसान संगठनों और सरकार के बीच किसान कानूनों को लेकर अबतक 6 राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। ऐसे में किसान अपनी मांगों के साथ दिल्ली में जमे हुए हैं। उन्हें इस प्रदर्शन को करते हुए एक महीने से अधिक हो चुके हैं। वहीं कुछ  दिन पहले सरकार की एक चिट्ठी के जवाब में किसानों की तरफ से बातचीत के लिए सरकार को 29 दिसंबर की तारीख दी गई थी। इस तारीख को लेकर सरकार की तरफ से अब परिवर्तन किया गया है। बता दें कि सरकार ने अब किसानों से बातचीत के लिए 30 दिसंबर की नई तारीख दी है। मतलब ये कि किसानों की दी हुई तारीख से एक दिन और बातचीत के समय को आगे बढ़ाया गया है। बता दें कि नए कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार और किसान संगठनों के बीच टकराव जारी है। एक तरफ किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार भी बैकफुट नहीं जाना चाहती है।

Farmers Leaders

गौरतलब है कि किसानों को केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने एक चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और किसानों के बीच 30 दिसंबर दोपहर 2:00 बजे बातचीत होगी। वहीं किसानों ने सरकार को 29 दिसंबर को 11 बजे 4 प्रस्तावों के आधार पर मिलने का प्रस्ताव भेजा था। सोमवार को किसानों की बैठक से पहले गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की एक बहुत ही महत्वपूर्ण बैठक हुई।

farmer protest

वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं, अब चर्चा कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर होनी चाहिए। अभी हमारे आंदोलन को 33 दिन हुए हैं, सरकार नहीं मानी तो 66 दिन भी हो जाएंगे। आंदोलन तेज करने की धमकी देते हुए किसान संगठनों नए साल पर देशभर में जगह-जगह प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। किसान संगठनों का कहना है कि हम 1 जनवरी को पूरे देशभर में प्रदर्शन करेंगे, हम चाहते हैं कि हर कोई किसानों के पक्ष में खड़ा हो।

वहीं एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने इस बातचीत को लेकर कहा कि, “30 दिसंबर को सरकार और किसानों की मीटिंग में क्या होता है वह हम देखेंगे। कोई रास्ता निकला तो खुशी होगी, नहीं निकला तो हमें बैठना होगा और सोचना होगा।”