नई दिल्ली। मोदी सरकार और विपक्ष के बीच एक बार फिर तलवारें खिंचने का मौका आ गया है। दरअसल, मोदी सरकार संसद के विशेष सत्र में 4 बिल भी पास कराने जा रही है। इनमें से एक बिल में ऐसा प्रावधान है, जिसे लेकर विपक्ष के साथ मोदी सरकार का टकराव तय है। संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। संसद का ये विशेष सत्र 22 नवंबर तक रखा गया है। 18 नवंबर को संसद के सत्र की शुरुआत पुराने भवन से होगी। 19 नवंबर को गणेश चतुर्थी के मौके पर पूजा-पाठ के बाद नए संसद भवन में सत्र चलेगा। संसद सत्र से पहले 17 सितंबर को सर्वदलीय बैठक होनी है।
मोदी सरकार ने संसद के विशेष सत्र में आजादी के अमृतकाल पर चर्चा कराने का फैसला किया है। चंद्रयान की सफल लैंडिंग और जी-20 को सफलता से करने पर भी संसद के विशेष सत्र में चर्चा की जानी है। इसके साथ ही सरकार ने संसद के विशेष सत्र में द एडवोकेट बिल, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल बिल, पोस्ट ऑफिस बिल और चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड अदर इलेक्शन कमिश्नर बिल पास कराने का फैसला भी किया है। इनमें से चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड अदर इलेक्शन कमिश्नर बिल को लेकर ही मोदी सरकार और विपक्ष के बीच टकराव के पूरे आसार दिख रहे हैं।
इसकी वजह ये है कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड अदर इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति संबंधी बिल में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटा दिया गया है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने चीफ इलेक्शन कमिश्नर और अन्य इलेक्शन कमिश्नरों की नियुक्ति के लिए पैनल में पीएम, नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस को रखने संबंधी आदेश दिया था। कोर्ट ने हालांकि ये भी कहा था कि सरकार अगर चाहे, तो इस व्यवस्था में कानून बनाकर बदलाव भी कर सकती है। अब सरकार जो बिल ला रही है, उसमें चीफ इलेक्शन कमिश्नर और अन्य इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति के पैनल से चीफ जस्टिस को हटाया जाएगा। इससे विपक्ष का भड़कना लाजिमी है।