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UP: गरीब की बेटी का सहारा बनी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, अब तक 2 लाख बेटियों का हो चुका है विवाह 

Uttar Pradesh: आयोजन भव्य हो इसके लिए इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी मेजबान की भूमिका में नव दम्पत्तियों को आशीर्वाद देने के लिए मौजूद रहते हैं। इनके सहयोग से अधिकांश जगहों पर सहभोज का भी आयोजन होता है। यह सिलसिला जारी है।

लखनऊ। बेटी का विवाह हर अभिभावक के जीवन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। अगर बेटी गरीब की है तब तो उसके लिए यह जिम्मेदारी पहाड़ का बोझ उठाने जैसा होता है। ऐसे अधिकांश मामलों में बेटी के बाप का कर्जदार होना आम बात है। कभी-कभी तो घर का गहना, गुरिया और जमीन बेचने या बंधक करने की नौबत आ जाती है। पर अब ऐसा नहीं है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने ऐसी बेटियों की शादी का जिम्मा अपनी सरकार पर डाल दिया है। 22 अगस्त तक योजना के तहत 191686 जोड़ों के सामूहिक विवाह कराए जा चुके हैं। योजना से लाभान्वित होने वाले में हर वर्ग के लोग हैं। मसलन अब तक अल्पसंख्यक वर्ग के 21025, अन्य पिछड़ा वर्ग के 60875, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के 10129, सामान्य वर्ग के 7858 लोग हैं।

आयोजन भव्य हो इसके लिए इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी मेजबान की भूमिका में नव दम्पत्तियों को आशीर्वाद देने के लिए मौजूद रहते हैं। इनके सहयोग से अधिकांश जगहों पर सहभोज का भी आयोजन होता है। यह सिलसिला जारी है। इस भव्यता को बरकरार रखने के लिए सरकार ने सामूहिक विवाह आयोजन पखवारा चलाने का निर्णय लिया है। इस बीच में अगर कोई पात्र इस योजना के तहत विवाह करना चाहता है तो उसे पहले की तरह ही अनुदान देय होगा।

yogi adityanath

मौजूदा बजट में भी 600 करोड़ रुपये का प्रावधान

उल्लेखनीय है कि 2017 में पहली बार सरकार बनाने के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सामूहिक विवाह योजना की शुरुआत कराई थी। 2017-18 में 14580, 2018-2019 में 42371, 2019-2020 में 47097, 2020-2021 में 22780, 2021-2022  में 49644 और 2022-2023 में अब तक 15268 जोड़ों को लाभान्वित किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि इस योजना का उद्देश्‍य शादियों में अनावश्‍यक प्रदर्शन और फिजूलखर्ची को खत्‍म करने के साथ ही गरीब परिवारों की बेटियों के ऐसे विवाह की व्‍यवस्‍था करना है जिसमें जिले के वीआईपी जुटे हों। यह सिलसिला जारी रहे इसके लिए बजट में 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे में मददगार बनी यह योजना

यह योजना बाल विवाह रोकने में मददगार हो रही है। बेटी की शादी के बोझ से निश्चिंत होने के बाद आम तौर पर उसके अभिभावक उसकी पढ़ाई पर भी ध्यान दे रहे हैं। इस तरह इससे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का भी नारा साकार हो रहा है।

बेटियों के खाते में जाते हैं 35 हजार

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत प्रति लाभार्थी 51 हजार रुपये खर्च किए जाते हैं, जिसमें 35 हजार लाभार्थी कन्या के खाते में, 10 हजार का सामान और 6 हजार रुपये प्रति लाभार्थी आयोजन पर खर्च होता है। सामान में वर और वधु के वस्त्र, साफा, चुनरी, चांदी की पायल-बिछिया, टिन का बक्सा, बर्तन, प्रेशर कुकर जैसी रोजमर्रा की गृहस्थी के सामान भी दिए जाते हैं।