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भारत के नए FDI नियमों से बुरी तरह बौखलाया चीन, दी मेडिकल सप्लाई बैन करने की धमकी

भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियमों को सख्त करने के फैसले से पड़ोसी देश चीन भड़का हुआ है।

बीजिंग। चीन से शुरू हुआ कोरोनावायरस दुनिया को लगातार अपनी चपेट में लेता जा रहा है। एशिया यूरोप और अमेरिका इस महामारी के चलते घुटनों पर आ गए हैं। पुराना संकट काल के दौर में हर देश की अर्थव्यवस्था डामाडोल हो गई है इसको देखते हुए भारत सरकार ने अपने बाजार की सुरक्षा के लिए एफडीआई के नियमों में बदलाव किया था। लेकिन भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियमों को सख्त करने के फैसले से पड़ोसी देश चीन भड़का हुआ है।

XI Jinping

भारत ने ये कदम इसलिए उठाया था ताकि कोरोना संकट का फायदा उठाते हुए चीन कमजोर हुईं भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण ना कर सके। भारत में FDI के नियमों में बदलाव को लेकर चीन ने ऐतराज जताया था। चीन ने कहा कि ये फैसला विश्व व्यापार संगठन के सिद्धांतों के खिलाफ है। चीन भारतीय बाजार पर अपनी पकड़ बनाना चाहता है जिसको देखते हुए उसकी ये बौखलाहट सामने आ रही है।

XI Jinping China

गौरतलब है कि अब एफडीआई के नए नियमों के तहत, भारत की सीमा से जुड़े किसी भी देश के नागरिक या कंपनी को निवेश से पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी। अब तक सिर्फ पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों/कंपनियों को ही मंजूरी की जरूरत होती थी। भारत से पहले चीनी कंपनियों को रोकने के लिए कई अन्य देश पहले ही एफडीआई के नियमों को कड़ा कर चुके हैं।

चीन किस कदर तिलमिलाया हुआ है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि चीन की सरकार का मुखपत्र कहलाने वाले सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख लिखा है जिसमें भारत को धमकी देने की कोशिश की गई है। अपने लेख में ग्लोबल टाइम्स लिखता है, चीन की वर्कफोर्स को शुक्रिया, अब देश अपने लिए और पूरी दुनिया के लिए मेडिकल सप्लाई करने में सक्षम है। हालांकि, भारत सरकार ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया है और विदेशी निवेश के नियमों को सख्त करने के लिए कोरोना संकट को वजह बता दिया। भारत मेडिकल सप्लाई के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर है और भारतीय कंपनियों के कथित अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने की कोशिश इस संकट की घड़ी में सप्लाई पाने में उसके लिए ही मुश्किलें खड़ी करेगा।

चीन ये बखूबी समझता है कि भारत की फार्मास्युटिकल कंपनियां दवाइयों को बनाने के लिए ज्यादातर साल्ट चीनी बाजार से ही खरीदतीं हैं। इसलिए ही इस तरह की धमकियां दे रहा है। फार्मेक्सिल डेटा के मुताबिक, भारतीय कंपनियां पहले ही चिंता जाहिर कर चुकी हैं कि चीन से कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित होने से भारत के उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। इस संकट की घड़ी में जब भारत दवाइयों के प्रोडक्शन को बढाकर दुनिया की मदद कर रहा है, चीन अपने व्यपारिक दांव खेल रहा है। चीन को दुनिया बेशक कुछ भी बोल रही हो मगर वो अपनी हरक़तों से बाज नहीं आ रहा है।