भोपाल। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव से काफी पहले से ही राहुल गांधी लगातार पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम शिवराज सिंह चौहान पर लगातार हमले बोल रहे थे। राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में 40 फीसदी कमीशन वाली सरकार बताकर बीजेपी से जनता को दूर करने की कोशिश की। तमाम मुफ्त योजनाओं को लागू करने के वादे भी राहुल गांधी ने किए थे। इसके अलावा राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर सबसे तगड़ा निशाना साधा था। इसके लिए राहुल गांधी ने गौतम अडानी और मुकेश अंबानी का नाम लगातार लिया और मोदी पर इनकी मदद करने का आरोप लगाया। हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद राहुल गांधी ने ‘अडानी जी-अडानी जी’ के बोल बोलते हुए मोदी पर हमला और तेज किया था, लेकिन उनका ये फंडा मध्यप्रदेश में पूरी तरह फेल रहा। रही-सही कसर राहुल गांधी की पीएम मोदी पर ‘पनौती’ वाले विवादित बयान ने शायद पूरी कर दी।
कांग्रेस के तमाम और नेताओं ने भी मध्यप्रदेश में बीजेपी और केंद्र में पीएम मोदी को लगातार अपने निशाने पर रखा। केंद्रीय स्तर पर ही शायद तय हुआ था कि मोदी और शिवराज पर हमला बोलेंगे। कर्नाटक में बीजेपी की सरकार पर भ्रष्टाचार और अडानी-अंबानी का नाम लेकर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को भी शायद लग रहा था कि मध्यप्रदेश की जनता को भी ऐसे बयान देकर वो अपने पाले में कर लेंगे, लेकिन मोदी और शिवराज की योजनाओं और अमित शाह की चाणक्य नीति ने राहुल समेत कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को मध्यप्रदेश में फेल कर दिया है। इसी के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव का दौर भी फिर से चर्चा में है। जब राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मसले को उछालते हुए मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया था और लोकसभा चुनाव हार गए थे।
मध्यप्रदेश के चुनाव नतीजों के सामने आने के बाद ये साफ हो गया है कि अब भी पीएम मोदी को जनता स्वच्छ छवि का मानती है। ये भी तय है कि जनता ये हरगिज नहीं मानती कि मोदी और शिवराज की सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है। ये भी मध्यप्रदेश की जनता ने साफ कर दिया है कि मुफ्त की योजनाएं अगर लेनी ही हैं, तो बीजेपी सरकार से वो लेगी। इसके अलावा ये भी साफ है कि पीएम मोदी ने जिस तरह भ्रष्टाचार और परिवारवाद के मुद्दे पर मध्यप्रदेश की जनसभाओं में कांग्रेस को घेरा था, जनता ने उससे सहमति जताई है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस को अब पीएम मोदी के लिए हमले का कोई नया हथियार तलाशना पड़ेगा। क्योंकि 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले के सेमीफाइनल हैं।