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योगी सरकार बनाएगी क्लेम ट्रिब्यूनल, सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की टूटेगी कमर

इसके गठन और प्रभावी होने के बाद इसके फैसले को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। यह ट्रिब्यूनल आरोपी की संपत्ति अटैच करने के साथ आरोपी का नाम और फोटोग्राफ प्रचारित करने का आदेश देगा जिससे आम लोग उसकी संपत्ति की खरीदारी ना करें।

नई दिल्ली। विरोध प्रदर्शन के नाम पर सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार काफी सख्त नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी अध्यादेश, 2020 को मंजूरी मिलने के बाद योगी सरकार क्लेम ट्रिब्यूनल बनाएगी जो नुकसान का आंकलन करेगी।

cm yogi adityanath

क्लेम ट्रिब्यूनल बनाने का फैसला

बता दें कि वसूली को लेकर योगी सरकार को कोर्ट में चुनौती मिली थी, जिसके बाद योगी सरकार ने क्लेम ट्रिब्यूनल बनाने का फैसला लिया है। जानकारी के मुताबिक क्लेम ट्रिब्यूनल के जरिए अब उपद्रवियों को प्रदेश में सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर क्षतिपूर्ति देनी होगी।

Lucknow protest

रिटायर्ड जिला जज की अध्यक्षता में होगा गठन

क्लेम ट्रिब्यूनल को लेकर मिली जानकारी के मुताबिक इसका गठन राज्य सरकार के रिटायर्ड जिला जज की अध्यक्षता में होगा। कहा जा रहा है कि इसके गठन और प्रभावी होने के बाद इसके फैसले को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। यह ट्रिब्यूनल आरोपी की संपत्ति अटैच करने के साथ आरोपी का नाम और फोटोग्राफ प्रचारित करने का आदेश देगा जिससे आम लोग उसकी संपत्ति की खरीदारी ना करें।

अध्यादेश के प्रभाव को लेकर जोरदार चर्चाएं शुरू

किसी भी विरोध प्रदर्शन में हुए नुकसान के आंकलन के क्लेम के लिए ट्रिब्यूनल कमिश्नर की तैनाती कर सकेगा। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी अध्यादेश, 2020 के ड्राफ्ट को मंजूरी दिए जाने के बाद अब इसके प्रभाव को लेकर जोरदार चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में सार्वजनिक व निजी संपत्ति को हुई क्षति के दृष्टिगत दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर क्षतिपूर्ति के लिए वसूली की विधिक कार्रवाई का आदेश दिया था। इस पर एडवोकेट प्रांशु अग्रवाल कहते हैं कि कुछ कानूनी अड़चनों के चलते उपद्रव के आरोपित से सीधे वसूली नहीं हो पाती थी। अब तक गैंगेस्टर एक्ट के तहत ही किसी आरोपित की संपत्ति के अटैचमेंट की कार्रवाई संभव थी। स्पष्ट कानून बनने पर उपद्रवियों से सीधे संपत्ति की वसूली की जा सकेगी।

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‘यह अध्यादेश पहले ही आना चाहिए था’

पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का कहना है कि यह अध्यादेश पहले ही आना चाहिए था। इस अध्यादेश से वह गाइडलाइन तय हो जाएगी, जिसमें स्पष्ट होगा कि किस प्रकार क्षतिग्रस्त संपत्ति का आंकलन होगा और किस प्रकार उसका क्लेम कर संपत्ति की वूसली की जाएगी। कहते हैं कि पूर्व की सरकारों ने पब्लिक प्रापर्टी डैमेज एक्ट को कभी गंभीरता नहीं लिया। पहले ऐसा कानून बना होता तो कई दंगों में करोड़ों की संपत्ति स्वाहा होने से बच जाती।