कोलकाता। इसे पीएम नरेंद्र मोदी का असर कहना ही शायद ठीक रहेगा। हो ये रहा है कि मोदी के बताए और दिखाए राष्ट्रवाद की राह पर अब कम्युनिस्ट भी चल रहे हैं। पिछले दिनों कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया CPI ने केरल में रामायण पर पांच दिन की चर्चा की थी। अब एक और कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने झंडे से कम्युनिज्म के प्रतीक हंसिया और हथौड़ा को हटा दिया है। झंडा बदलने वाली इस कम्युनिस्ट पार्टी का नाम फॉरवर्ड ब्लॉक है। उसने अपने झंडे का रंग लाल से बदलकर तिरंगा कर दिया है और उसमें कूदते हुए बाघ की तस्वीर लगाई है। फॉरवर्ड ब्लॉक के इस कदम पर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या आने वाले दिनों में वह सीपीएम और सीपीआई का साथ छोड़ देगी? पश्चिम बंगाल में फॉरवर्ड ब्लॉक के राज्य सचिव नरेन चटर्जी ने नया झंडा जारी करते हुए कहा कि पार्टी की स्थापना नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने की थी। वह राष्ट्रवादी थे। आजादी के बाद पार्टी ने कम्युनिस्ट विचारधारा को अपनाया और तभी झंडे को लाल रंग और हंसिया-हथौड़े का निशान दिया गया। नरेन के मुताबिक नया झंडा वैसा ही है, जैसा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जमाने में था।
फॉरवर्ड ब्लॉक के नेताओं ने इस मौके पर सीपीएम के नेतृत्व पर जोरदार हमला भी किया। दरअसल, 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वामपंथी दलों की दुर्गति हुई थी। सीपीएम ने कांग्रेस से गठजोड़ किया था। इसके अलावा ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट भी साथ में थी। जिसकी वजह से न तो कांग्रेस को वोट मिला और न ही वामदलों को। फॉरवर्ड ब्लॉक के नेताओं ने सीपीएम के इस फैसले को गलत बताया।
झंडे का चिन्ह और रंग बदलने और सीपीएम के नेतृत्व के खिलाफ बयान देने का काम पहली बार फॉरवर्ड ब्लॉक ने किया है। इससे पहले कभी भी वामपंथी पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ बयान नहीं देती थीं। इस वजह से अब चर्चाओं का बाजार गरम है कि क्या पश्चिम बंगाल और केरल में वामपंथी गठबंधन में दरार पड़ने वील है !