नई दिल्ली। कांग्रेस में संगठन चुनाव की मांग और बड़े स्तर पर बदलाव की मांग को लेकर कांग्रेस आलाकमान को चिट्ठी लिखने वाले कांग्रेसी नेताओं पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। दरअसल 14 सितंबर से मानसून सत्र शुरू हो रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने अपनी ही पार्टी के ‘असंतुष्ट’ नेताओं को दरकिनार करना शुरू कर दिया है। जिसमें कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं।
बता दें कि कांग्रेस ने लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी के बेहतर प्रबंधन के लिए पांच-पांच लोगों की टीम बनाई गई है। इसके लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गौरव गोगोई को लोकसभा में पार्टी का उपनेता और रवनीत सिंह बिट्टू को डिप्टी व्हिप नियुक्त किया है। वहीं, राज्यसभा की टीम में वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल को जोड़ा गया है। कांग्रेस ने जयराम रमेश को राज्यसभा में पार्टी का चीफ व्हिप बनाया है।
लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी पार्टी के नेता, के. सुरेश चीफ व्हिप और केरल से सांसद मनिक्कम टैगोर एक अन्य डिप्टी व्हिप हैं। गौरव गोगोई भी अभी तक डिप्टी व्हिप थे जिनको अब उपनेता बना दिया गया है। अभी तक निचले सदन में कांग्रेस का कोई उपनेता नहीं था। गौरव गोगोई असम में कलियाबोर से सांसद हैं जहां अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। वह असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के पुत्र हैं।
संसद में 10 सांसदों का पैनल बनाया गया है। इसमें गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, जयराम रमेश, अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल, अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, के सुरेश, मनिकराम टैगौर और रवनीत सिंह बिट्टू शामिल हैं। फिलहाल अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं, जबकि के. सुरेश मुख्य व्हिप हैं। गोगोई पहले व्हिप की भूमिका में थे। इसके अलावा मणिकम टैगोर भी व्हिप हैं।
इस बड़े बदलाव में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को आलाकमान की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। दरअसल कांग्रेस ने गुरुवार को ही पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ओर से जारी किए गए अध्यादेशों पर विचार के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति में गांधी परिवार के पांच करीबी नेताओं को जगह दी गई है, जबकि वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को इससे बाहर रखा गया है। दो दिन पहले कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान गुलाम नबी आजाद की लिखी चिठ्ठी को लेकर हंगामा भी हुआ था।