newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Prayagraj Dharm Sansad: अंग्रेजों की मदद करने वाले महात्मा गांधी नहीं हो सकते भारत के राष्ट्रपिता, प्रयागराज धर्म संसद में बापू पर अपमानजनक टिप्पणी  

Prayagraj Dharm Sansad: सरस्वती ने आगे कहा कि भारत को स्वतंत्रता  दिलाने की दिशा में महात्मा गांधी का क्या योगदान शून्य था। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या भारत को आजादी दिलाने के दौरान उनकी एक उंगली में भी चोट आई थी, क्या उन्होंने कुछ ऐसा किया था, फिर हम क्यों उनकी तारीफों का बखान करते हैं,

नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह धर्म संसद की बयार बहनी शुरू हुई है, उसने भारतीय राजनीति का तापमान बढ़ा कर रख दिया है। प्राय: धर्म संसद में बोले जाने वाले विवादित बोल को लेकर विपक्षी कुनबा केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हो जाते हैं। इससे पूर्व रायपुर और उत्तराखंड में आयोजित धर्म संसद में कई मसलों को लेकर विवादित बोल प्रकाश में आ चुके हैं। अब इसी कड़ी में प्रयागराज में आयोजित किए गए धर्म संसद में आमंत्रित लोगों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संदर्भ में विवादों बयानों की बौछार लगा दी। बता दें कि धर्म संसद में वाराणसी की काशी सुमेरु पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने अपनी जुबां से विवादित बयानों की बयार बहाकर रख दी है।

DHARM SANSAD

उन्होंने तो यहां तक कहने से गुरेज नहीं किया कि ब्रितानी हुकूमत के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजों की मदद करने से भी परहेज नहीं किया था। सरस्वती ने जनसभा में आए लोगों को संबोधित कर सवालिया लहजे में कहा कि अब आप ही बताइए कि क्या ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रपिता का दर्जा दिया जा सकता है। चलिए, अगर मान भी ले कि वे राष्ट्रपिता हैं, तो राष्ट्रमाता कौन हुईं। उन्होंने आगे कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रपुत्र हो सकते न कि राष्ट्रपिता।  महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा देने के संदर्भ में हमें पुन: चिंतन-मंथन करने की आवश्यकता है।

Mahatma Gandhi

शून्य सरीखा है आजादी दिलाने  में बापू का योगदान

सरस्वती ने आगे कहा कि भारत को स्वतंत्रता  दिलाने की दिशा में महात्मा गांधी का योगदान शून्य था। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या भारत को आजादी दिलाने के दौरान उनकी एक उंगली में भी चोट आई थी, क्या उन्होंने कुछ ऐसा किया था, फिर हम क्यों उनकी तारीफों का बखान करते हैं, जबकि जिन क्रांतिकारियों ने देश को आजादी दिलाने की दिशा में अपने प्राणों आहुति देने में कोई गुरेज नहीं किया, आज उनके बारे में कोई जानता तक नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि दरअसल महात्मा गांधी का इंतिहास में अतिश्योक्ति वश महिमामंडन किया गया है, जिस पर विराम लगाने की आवश्यकता है।

prayagraj dharma sansad

उन्होंने कहा कि जिस अंदाज में महात्मा गांधी को इतिहास में पेश किया गया है, वो बिल्कुल सही नहीं है। इसके इतर उन्होंने कई विषयों को लेकर विवादित बयान देने से कोई गुरेज नहीं किया, जो आगामी दिनों में देश की सियासत में तहलका मचा सकती है। सर्वविदित है कि आज यानी की 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।