नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह धर्म संसद की बयार बहनी शुरू हुई है, उसने भारतीय राजनीति का तापमान बढ़ा कर रख दिया है। प्राय: धर्म संसद में बोले जाने वाले विवादित बोल को लेकर विपक्षी कुनबा केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हो जाते हैं। इससे पूर्व रायपुर और उत्तराखंड में आयोजित धर्म संसद में कई मसलों को लेकर विवादित बोल प्रकाश में आ चुके हैं। अब इसी कड़ी में प्रयागराज में आयोजित किए गए धर्म संसद में आमंत्रित लोगों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संदर्भ में विवादों बयानों की बौछार लगा दी। बता दें कि धर्म संसद में वाराणसी की काशी सुमेरु पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने अपनी जुबां से विवादित बयानों की बयार बहाकर रख दी है।
उन्होंने तो यहां तक कहने से गुरेज नहीं किया कि ब्रितानी हुकूमत के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजों की मदद करने से भी परहेज नहीं किया था। सरस्वती ने जनसभा में आए लोगों को संबोधित कर सवालिया लहजे में कहा कि अब आप ही बताइए कि क्या ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रपिता का दर्जा दिया जा सकता है। चलिए, अगर मान भी ले कि वे राष्ट्रपिता हैं, तो राष्ट्रमाता कौन हुईं। उन्होंने आगे कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रपुत्र हो सकते न कि राष्ट्रपिता। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा देने के संदर्भ में हमें पुन: चिंतन-मंथन करने की आवश्यकता है।
शून्य सरीखा है आजादी दिलाने में बापू का योगदान
सरस्वती ने आगे कहा कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने की दिशा में महात्मा गांधी का योगदान शून्य था। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या भारत को आजादी दिलाने के दौरान उनकी एक उंगली में भी चोट आई थी, क्या उन्होंने कुछ ऐसा किया था, फिर हम क्यों उनकी तारीफों का बखान करते हैं, जबकि जिन क्रांतिकारियों ने देश को आजादी दिलाने की दिशा में अपने प्राणों आहुति देने में कोई गुरेज नहीं किया, आज उनके बारे में कोई जानता तक नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि दरअसल महात्मा गांधी का इंतिहास में अतिश्योक्ति वश महिमामंडन किया गया है, जिस पर विराम लगाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि जिस अंदाज में महात्मा गांधी को इतिहास में पेश किया गया है, वो बिल्कुल सही नहीं है। इसके इतर उन्होंने कई विषयों को लेकर विवादित बयान देने से कोई गुरेज नहीं किया, जो आगामी दिनों में देश की सियासत में तहलका मचा सकती है। सर्वविदित है कि आज यानी की 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।