बेंगलुरु। पिछले 8 साल से महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर यानी वीर सावरकर को लेकर आए दिन विवाद खड़ा होता रहता है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी हमेशा वीर सावरकर के एक कथित माफीनामे का मुद्दा उठाकर बीजेपी और आरएसएस को घेरते हैं। अब कर्नाटक में वीर सावरकर के बारे में 8वीं की किताब में लिखे गए एक मुहावरे को विवाद का मुद्दा बना दिया गया है। इस किताब के एक अध्याय में लिखा है, ‘सावरकर जब अंडमान की जेल में बंद थे, तब एक बुलबुल के डैनों पर बैठकर वह अपनी जन्मभूमि को देखने जाते थे।’ इसमें बुलबुल के पंख पर बैठकर जाने को मुहावरे के तौर पर लिखा गया है, लेकिन आलोचक सवाल उठा रहे हैं कि ये छात्रों में भ्रम पैदा करेगा।
किताब के अध्याय में लिखा है कि जहां सावरकर को कैद करके रखा गया था, वहां रोशनी आने के लिए कोई जगह नहीं थी। लेकिन एक बुलबुल उस कमरे में आती थी। सावरकर रोज उसके डैनों पर बैठकर अपनी जन्मभूमि के दर्शन करने जाया करते थे। यहां इसका मतलब ये निकलता है कि सावरकर उस बुलबुल को रोज देखकर अपनी जन्मभूमि यानी भारत की याद ताजा करते थे। आलोचक कह रहे हैं कि छात्र इसे पढ़कर समझेंगे कि वीर सावरकर बुलबुल पर सवार होकर जेल से भारत की मुख्यभूमि तक आते थे। कर्नाटक में कांग्रेस विधायक प्रियंक खड़गे ने ट्विटर पर लिखा कि ये किसी मुहावरे की तरह नहीं लगता। कर्नाटक टेक्सबुक रिवीजन कमेटी के चेयरमैन रोहित चक्रतीर्थ ने इस बारे में कहा कि ये तो मुहावरे के तौर पर लिखा गया है। इसका मतलब ये नहीं कि सावरकर बुलबुल के डैनों पर बैठकर उड़ते थे। चक्रतीर्थ ने कहा कि हैरत की बात है कि विवाद खड़ा करने वालों को मुहावरे का भी ज्ञान नहीं है। ये वाक्य केटी गट्टी के यात्रा वृतांत से लिया गया है। वो 1911 से 1924 के बीच अंडमान की सेलुलर जेल गए थे। उस दौरान सावरकर वहां कैद थे।
This doesn’t sound like it was meant to be a metaphor.
“There was not even a key hole in the cell where Savarkar was incarcerated. But, bulbul birds used to visit the room and Savarkar used sit on their wings and fly out and visit the motherland every day” https://t.co/yTS7w6411m— Priyank Kharge / ಪ್ರಿಯಾಂಕ್ ಖರ್ಗೆ (@PriyankKharge) August 27, 2022
बता दें कि बीते दिनों स्वतंत्रता दिवस पर सावरकर के बैनर और पोस्टर लगाने को लेकर भी कर्नाटक में बवाल हुआ था। कई जगह सावरकर की फोटो वाले इन बैनर और पोस्टर को हटाने के लिए संगठन अड़ गए थे। एक जगह तो तनाव के बाद धारा 144 तक लगानी पड़ी थी। सावरकर के मुद्दे पर लगातार बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा जाता ही है। कांग्रेस के नेता उनको गांधी की हत्या की साजिश रचने वाला बताते हैं, जबकि कोर्ट ने इस मामले में सावरकर को बाइज्जत बरी कर दिया था।