newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

लॉकडाउन भी न रोक सका इस मां का प्यार, BSF के जवान बेटे से मिलने के लिए की 2700 किमी की यात्रा

सख्त लॉकडाउन के बावजूद एक 50 वर्षीय महिला ने अपने बीमार बेटे से मिलने के लिए छह राज्यों से होकर 2,700 किलोमीटर की यात्रा की।

जोधपुर। कोरोनावायरस की चलते हुए लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों में कैद रहने के लिए मजबूर हैं। लॉकडाउन के बीच दुनिया भर से कभी दिल को खुश करने वाली तो कभी अंदर तक झकझोर कर रख देने वाली खबरें सामने आई हैं।

Lockdown India

कुछ कहानियां हैं जो कोरोनावायरस और लॉकडाउन के दर्द को बयां करती हैं। ऐसी एक कहानी राजस्थान के जोधपुर से सामने आई है, जहां पर सख्त लॉकडाउन के बावजूद एक 50 वर्षीय महिला ने अपने बीमार बेटे से मिलने के लिए छह राज्यों से होकर 2,700 किलोमीटर की यात्रा की। उनका बेटा बीएसएफ का जवान है और जोधपुर के एम्स में भर्ती है।

delhi doctor

महिला के साथ यात्रा के दौरान उनकी बहू और एक अन्य रिश्तेदार थे, जिसे उन्होंने तीन दिन में कवर किया। जोधपुर से पीटीआइ से बात करते हुए शीलाम्मा वासन ने कहा कि उनका बेटा अरुण कुमार मायोसिटिस से पी‍ड़‍ित है। उसकी स्थिति में अब सुधार हो रहा है। अपने बेटे की तबीयत को लेकर चिंतित मां ने कई बाधाओं को पार करते हुए उससे मिलने का फैसला किया और पहुंच गई अस्पताल, यह एक मां और बेटे के बीच खूबसूरत रिश्ते की मिसाल है।

पीटीआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान की कृपा से हम बिना किसी समस्या के यहां पहुंच गए हैं। जोधपुर के एम्स में एक मलयाली चिकित्सक द्वारा अरुण कुमार की स्थिति के बारे में परिवार को सूचित किया गया था, जिसके बाद उन्होंने केरल से तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात होते हुए राजस्थान तक की यात्रा शुरू करने का फैसला किया।

उन्होंने केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन, मुख्यमंत्री पी विजयन के कार्यालय और कांग्रेस नेता ओमन चांडी को धन्यवाद दिया, जिनके हस्तक्षेप के कारण उन्हें कई राज्यों की यात्रा के लिए आवश्यक पास उपलब्ध हो सका। लेकिन पास मिलने के बावजूद भी उस मां के लिए यह सब इतना आसान नहीं था। बेटे से मिलने की लालसा में भटक रही इस मां के दर्द को समझते हुए विहिप के एक संगठन हिंदू हेल्पलाइन के कार्यकर्ताओं ने कैब और दो ड्राइवरों का इंतजाम किया, जिन्होंने उन्हें मुफ्त में जोधपुर पहुंचा दिया।

कोट्टायम के जिलाधिकारी पीके सुधीर बाबू द्वारा आवश्यक पास जारी करने के बाद शीलाम्मा अपनी बहू और एक अन्य रिश्तेदार के साथ 11 अप्रैल को यात्रा पर निकलीं और 14 अप्रैल को मलयाली नया साल विशु के दिन जोधपुर पहुंच गई। एक बेटे के लिए किसी मां का ये प्रेम भावुक करने वाला है।