नई दिल्ली। भारत में कोरोनावायरस के प्रसार का स्तर अभी कौन से चरण में है ये स्पष्ट नहीं है। लेकिन संदिग्ध लोगों की लगातार कोविड-19 जांच की जा रही है। इस बीच चीन से आयातित कोरोना रैपिड टेस्ट किट को लेकर भी कई शिकायतें देखने को मिली हैं जिनपर ICMR ने एक्शन लिया है।
ऐसे में भारत में ही जांच को लेकर इस तरह की तकनीकों पर काम किया जा रहा है जो कम समय में अधिक से अधिक जांच कर सके। भारत में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल (एनआईबी) ऐसा पहला केंद्र है जिसने 4 अप्रैल 2020 से कोबस, जो एक उच्च थ्रूपुट डायग्नोस्टिक सिस्टम है जिसका रिपोर्टिंग समय कम है, उसपर कोविड -19 का परीक्षण शुरू किया। कोबस 6800 इंस्ट्रूमेंट प्रति दिन लगभग 1000 परीक्षण कर सकता है।
एनआईबी ने कर्मियों और पर्यावरण की सुरक्षा के मद्देनजर मेसर्स रौष के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) की आवश्यकता के अनुसार एक नकारात्मक दबाव में बीएसएल -2 कोविड -19 परीक्षण प्रयोगशाला विकसित की है। लॉकडाउन अवधि के दौरान प्रयोगशाला को विकसित करने की चुनौती 4 दिनों की अवधि में पूरी हो गई थी।
इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. रेबा छाबड़ा, डायरेक्टर-इन-चार्ज एनआईबी के प्रत्यक्ष नेतृत्व में, 5 वैज्ञानिक टीमें कोविड -19 परीक्षण कर रही हैं और अन्य टीमें विभिन्न प्रकार के कामों को अंजाम दे रही हैं, ताकि समय पर संदिग्ध रोगियों के नमूनों की रिपोर्ट की जा सके। एनआईबी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली एनसीआर के अस्पतालों, संगरोध केंद्रों सहित विभिन्न स्थानों से संदिग्ध रोगियों के नमूने प्राप्त किए जा रहे हैं।
इन परीक्षण किए गए नमूनों के परिणाम एनआईबी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक डॉ. अनूप अनवीकर, को इसकी आगे की रिपोर्टिंग के लिए दे देता है।
एनआईबी कोविड -19 महामारी के खिलाफ हमारे देश की आम लड़ाई में एकजुटता के साथ खड़ा है और हमेशा हमारे देशवासियों की सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के महान कार्य के लिए समर्पित है। गौरतलब है कि कोरोनावायरस के चलते इस वक्त पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग इस दौरान अधिक से अधिक लोगों की जांच करना चाहता है। जिसको देखते हुए इस तरह के इंस्टीटूट महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।