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UP: आगरा के पारस अस्पताल की जांच रिपोर्ट आई सामने, ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई 22 मौतें, झूठा साबित हुआ दावा

Uttar Pradesh: डेथ ऑडिट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, ये बिल्कुल भी सच नहीं है कि मॉक ड्रिल के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद कर दिए जाने से 22 मरीजों की मौत हो गई। ड्रिल के लिए किसी की ऑक्सीजन नहीं काटी गई और न ही इसका कोई सबूत है। यह अफवाह खबर है, वरना 26 अप्रैल को 22 लोगों की मौत हो जाती।

नई दिल्ली। कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगरा के पारस अस्पताल (Paras Hospital) का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें दावा किया था कि अस्पताल में ऑक्सीजन मॉक ड्रिल के दौरान 22 मरीजों की मौत हो गई थी। वहीं अस्पताल का वीडियो वायरल होने के बाद बवाल मच गया था और योगी सरकार ने भी तुरंत कार्रवाई करते हुए पारस अस्पताल को सीज कर दिया था। अब इस मामले को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। दरअसल इस घटना पर डेथ ऑडिट कमेटी (Death Audit Committee) की रिपोर्ट सामने आई है। यूपी के आगरा में पारस अस्पताल के वायरल वीडियो में 22 मौतों का मामला जांच में झूठा पाया गया। प्रशासन की ओर से नियुक्त जांच कमेटी ने पाया कि घटना के दिन पारस अस्पताल में पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई थी। 25 अप्रैल को 149 सिलेंडर उपलब्ध थे, 20 सिलेंडरों की रिजर्व या अतिरिक्त सप्लाई थी। जबकि अगले दिन 26 अप्रैल को 121 सिलेंडर स्टाक में थे और 15 सिलेंडरों की रिजर्व या अतिरिक्त सप्लाई थी।

Paras Hospital Agra

डेथ ऑडिट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, ये बिल्कुल भी सच नहीं है कि मॉक ड्रिल के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद कर दिए जाने से 22 मरीजों की मौत हो गई। ड्रिल के लिए किसी की ऑक्सीजन नहीं काटी गई और न ही इसका कोई सबूत है। यह अफवाह खबर है, वरना 26 अप्रैल को 22 लोगों की मौत हो जाती।

बता दें कि सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल है, उसमें हॉस्पिटल के मालिक डॉक्टर अरिंजय जैन कहते हैं, ‘मैंने संजय चतुर्वेदी को फोन किया। वो बोले- बॉस मरीजों को समझाओ, डिस्चार्ज शुरू करो। मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन नहीं दिला सकता। मेरे हाथ पांव फूल गए और मैंने पर्सनली समझाना शुरू किया। कुछ पेंडुलम बने रहे कि नहीं जाएंगे।’

जैन कहते हैं, ‘फिर मैंने कहा- दिमाग मत लगाओ और उन्हें छांटो जिनकी ऑक्सिजन बंद हो सकती है। एक ट्रायल मार दो, हमें समझ आ जाएगा कि कौन मरेगा और कौन नहीं। इसके बाद सुबह 7 बजे मॉकड्रिल शुरू हुई। ऑक्सिजन शून्य कर दी…22 मरीज छंट गए। हाथ पैर नीले पड़ने लगे, छटपटाने लगे तो तुरंत खोल दिए।’