नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के आगे राज्य की कमान तो मिल गई, और पार्टी आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष तो बना दिया लेकिन इसके साथ उनके नए चार सलाहकारों की वजह से उनकी जमकर फजीहत हो रही है। दरअसल सिद्धू ने अपने सलाहकारों की टीम में जिन चार लोगों की एंट्री की है, उनमें कुछ तो देश विरधीं बयानों के लिए चर्चा में रहे हैं तो वहीं कुछ कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बताए जा रहे हैं। ऐसे में साफ है कि सिद्धू पंजाब में खुध को मजबूत दिखाने के लिए इस टीम के साथ सीएम अमरिंदर सिंह से मोर्चा लेने तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि सिद्धू ने जिन लोगों की सलाहकार के तौर पर नियुक्ति की है, उनमें डॉ अमर सिंह, मोहम्मद मुस्तफा, प्यारे लाल गर्ग और मलविंदर सिंह माली शामिल हैं। इनमें प्यारे लाल गर्ग ने अभी हाल ही में अमरिंदर सिंह द्वारा की गई पाकिस्तान की आलोचना पर सवाल उठाया था। इसके अलावा उन्होंने कश्मीर पर भी विवादिय बयान दिया था।
विवादों से घिरे सिद्धू के सलाहाकारों को लेकर इन दिनों काफी चर्चा है। सिद्धू ने पंजाब में अपने मकसद को साफ कर दिया है कि वो उस टीम को तैयार करने में लगे हैं जो कैप्टन अमरिंदर सिंह का मजबूती से मुकाबला कर सके। इस चक्कर में उनकी टीम में हर वो चेहरा है जो देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है। आइए आपको बताते हैं सिद्धू के सलाहकारों के बारे वो सारी जानकारी जो आपको जाननी चाहिए।
मलविंदर सिंह माली
मलविंदर सिंह माली एक स्व-घोषित मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। उन्होंने 90 के दशक की शुरुआत में पंजाब मानवाधिकार संगठन के महासचिव के रूप में कार्य किया। माली के एसजीपीसी अध्यक्ष गुरचरण सिंह तोहरा के साथ भी घनिष्ठ संबंध थे। इसके अलावा उन्हें 1992 में राम सिंह बिलिंग अपहरण मामले में, कट्टरपंथी गतिविधियों में भाग लेने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था। माली को अपनी ही सरकार में सीएम अमरिंदर सिंह से सवाल करने के लिए कांग्रेस नेताओं आलोचना झेलनी पड़ी। इसके अलावा वो सोशल मीडिया पर हिंदू विरोधी भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने के लिए भी चर्चा में रहे हैं। इसके अलावा माली पीएम मोदी, अमित शाह पर भी टिप्पणी करते रहे हैं।
बता दें कि मलविंदर सिंह ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर की , जो पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर आधारित थी। इसमें इंदिरा गांधी का स्केच बनाया गया है। जिसमें वह मानव खोपड़ी के ढेर के पास खड़ी हुई दिखाई दे रही है। इस फोटो में इंदिरा गांधी ने एक बंदूक पकड़ी हुई है, जिसकी नली पर भी मानव खोपड़ी लगी है। इसके अलावा बीते बुधवार को मलविंदर सिंह माली ने कश्मीर को एक अलग देश बता दिया था। कश्मीर को लेकर उन्होंने कहा कि, भारत और पाकिस्तान दोनों अवैध कब्जेदार है।
प्यारे लाल गर्ग
प्यारे लाल गर्ग एक चिकित्सक हैं जिन्होंने बाबा फरीद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के रूप में कार्य किया। प्यारे लाल गर्ग उन लोगों में गिने जाते हैं जो कैप्टन अमरिन्दर सिंह और पंजाब सरकार की खुली आलोचना करते हैं। प्यारे लाल गर्ग चंडीगढ़ स्थित खालिस्तान समर्थक संगठन केंद्री श्री गुरु सिंह सभा और उदारवादी विचारों वाली संस्था पिंड बचाओ पंजाब बचाओ कमेटी के नजदीक भी बताये जाते हैं। केंद्री श्री गुरु सिंह सभा ने 5 जून 2020 को 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार को “नरसंहार” बताकर, और खालिस्तान अलगाववादियों के लिए “भारत” को जिम्मेदार बताया। प्यारे लाल गर्ग CAA-NRC के खिलाफ बैठक का हिस्सा रहे हैं। जो 12 फरवरी 2020 को हुई थी।
मोहम्मद मुस्तफा
मोहम्मद मुस्तफा 1985-बैच के एक ऐसे वरिष्ठ IPS अधिकारी, जो पंजाब में पुलिस जनरल निदेशक में काफी सीनियर थे।वह 2017 के चुनाव पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के काफी करीबी थे। लेकिन दिनकर गुप्ता को डीजीपी के रूप में नियुक्ति होने के बाद उन्होंने अमरिंदर सिंह का साथ छोड़ दिया और सिद्धू के करीब आ गए। इस मामले में गुप्ता की नियुक्ति को लेकर मुस्तफा ने कानूनी केस भी लड़ा।
THIS CAN’T BE THE INDIA OF OUR DREAMS pic.twitter.com/gbeSp5FaEB
— MOHD MUSTAFA, FORMER IPS (@MohdMustafaips) October 6, 2015
गौरतलब है कि मुस्तफा का प्रतिनिधित्व एजाज मकबूल ने किया, जिसने दिसंबर 2019 में श्रीराम जन्मभूमि मामले में समीक्षा याचिका में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा कई हिंदू विरोधी कानूनी मामलों में भी प्रतिनिधित्व किया। हालांकि मुस्तफा सिद्धू का सलाहकार बनने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। बाद में जोर देने पर वो सिद्धू के सलाहकार बने।
HATS OFF TO RANA https://t.co/ORCPx4Tzno
— MOHD MUSTAFA, FORMER IPS (@MohdMustafaips) October 1, 2015
अमर सिंह
अमर सिंह सिद्धू के पूर्व में भी सलाहकार रह चुके हैं। बता दें कि जब सिद्धू पंजाब सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री थे और अमर सिंह के साथ घनिष्ठ संबध थे। पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ अमर सिंह के नवजोत सिद्धू के सलाहकार के तौर पर नियुक्ति को सीएम अमरिंदर ने मंजूरी नहीं दी थी जिसके कारण उन्हें 8 महीने के लिए भुगतान नहीं किया गया था।