नई दिल्ली। क्या कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को मिला भारतीय सेना का साथ? क्या आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करने आंदोलन में पहुचे सैनिक? क्या अब भारतीय सैनिक भी किसानों संग मिलकर करेंगे इन कृषि कानूनों का विरोध? दरअसल, सोशल मीडिया पर अभी एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे देखने के बाद लोगों के जेहन में इस तरह के सवाल उठना लाजिमी है। आखिर ऐसा क्या है, इस वीडियो में, जिसे देखने के बाद लोगों के जेहन में इस तरह के सवाल उठ रहे हैं।
दरअसल, इस वायरल वीडियो में पंजाब रेजिमेंट का एक सैनिक किसानों के आंदोलन में शामिल होता हुआ नजर आ रहा है। जिसे देखने के बाद लोगों के जेहन में इस तरह के सवाल उठने लगे कि क्या किसानों के आंदोलन में सैनिक भी शामिल हो रहे हैं? खैर, इन सवालों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए भारतीय सैनिक खुद सामने आकर इस वीडियो की सत्यता को सिरे से खारिज कर चुके हैं। सेना की तरफ से कहा गया कि यह वीडियो पूरी तरह से फर्जी है। इसकी सत्यता का कोई आधार नहीं है, बल्कि सच्चाई तो यह है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये वीडियो पूरी तरह से झूठा और फर्जी है। यह वीडियो लोगों के बीच में सैनिकों और किसानों के बीच भ्रम में फैलाने के ध्येय से फैलाया जा रहा है। सच्चाई यह है कि कुछ लोग आंदोलन को सैनिकों से जोड़कर अलग रूप देने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि लोगों के ध्यान को भटकाया जा सकें, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। यह वीडियो पूरी तरह से फर्जी है। भारतीय सेना को का कोई भी जवान इस आंदोलन में अब तक शामिल नहीं हुआ है।
A video is circulating on social media showing Indian Army jawans standing with civilians under a tent saying that Punjab regiment soldiers are protesting with some farmers. This is fake news: Indian Army officials pic.twitter.com/AtXQX5fRZK
— ANI (@ANI) October 10, 2021
बता दें कि पिछले एक साल से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच कई मर्तबा बैठकें हो चुकी हैं, कई किसानों की जान जा चुकी है, अब आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए ये आंदोलन चुनावी मसला भी बन चुका है, लेकिन अभी तक सरकार और किसान के बीच जारी गतिरोध का कोई समाधान सामने नहीं आया है।वहीं, आंदोलन के बहाने सोशल मीडिया पर इस तरह की कई तस्वीरें व वीडियो वायरल होती रहती है, लेकिन तफ्तीश के बाद पता चलता है कि इसके पीछे की सच्चाई कुछ और ही है। खैर, किसानों का यह आंदोलन आगे चलकर अब क्या रूख अख्तियार करता है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।