नई दिल्ली। हाल ही में इंडिया गठबंधन की मीडिया समिति ने पत्रकारों की एक सूची जारी की थी। इस सूची में उन पत्रकारों के नाम दर्ज हैं, जिन्हें इंडिया गठबंधन के नेताओं ने किसी भी विषय पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से साफ इनकार कर दिया है। इंडिया गठबंधन का मानना है कि यह पत्रकार सिर्फ और सिर्फ केंद्र की मोदी सरकार को सियासी हित पहुंचाने के लिए एजेंडा चला रहे हैं और विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि लोकतंत्र में उचित नहीं है। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने इनमें से किसी भी पत्रकार को इंटरव्यू का या कोई बाइट देने से साफ इनकार कर दिया है। जिसके बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार हो चुका है।
बीजेपी ने इसे लेकर इंडिया गठबंधन पर निशाना भी साधा है। कहा है कि ये लोग अब पत्रकारों की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं। इन लोगों को महज वही पत्रकार भाते हैं, जो कि इनका समर्थन करते हैं, जबकि इंडिया गठबंधन का कहना है कि सूची में उन्हीं पत्रकारों का नाम दर्ज किया गया है, जो कि दिन-रात सिर्फ और सिर्फ नफरत का कारोबार करते हैं और उसमें से कई पत्रकारों को सरकार का समर्थन भी प्राप्त है। बहरहाल, इस पूरे मसले को लेकर सियासी चर्चा जारी है, लेकिन आपको बता दें कि न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए अपने इंटरव्यू में बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने इंडिया गठबंधन को आड़े हाथों लिया है। आइए, आगे कि रिपोर्ट में आपको बताते हैं कि उन्होंने क्या कुछ कहा है?
बता दें कि बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने इंडिया गठबंधन के इस कदम को विनाशकाले विपरीत बुद्धि बताया है। उन्होंने आगे कहा कि यह एक प्रकार का अधिकार मानसिकता है, जिसमें वो हर चीज पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं। सुधांशु ने आगे कहा कि मजरूह सुल्तानपुरी ने नेहरू के खिलाफ एक आर्टिकल लिख दिया था, तो उन्हें दो साल जेल में रहना पड़ा था। इमरजेंसी के समय संजय गांधी के कार्यक्रम में किशोर कुमार ने गाना गाने से मना कर दिया था, तो उन्हें ऑल इंडिया रेडियो से बाहर कर दिया गया था। वहीं, राजीव गांधी से कुछ सवाल पूछे दिए गए थे, तो इंडियन एक्सप्रेस की बिजली काट दी गई थी।
इसके बाद सुधांशु से इंटरव्य में पूछा गया कि पत्रकारों की यह सूची सिर्फ कांग्रेस ने जारी नहीं की है, बल्कि इसमें इंडिया गठबंधन के अन्य नेता भी शामिल हैं, तो इस पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हो सकता है कि उनके प्रवक्ताओं के ऊपर दबाव हो कि आप लोग इतने बेतुके बयान दिए जा रहे हैं, हम कहां तक डिफेंड करें? अगर मैं इन्हें संक्षिप्त में कहूं, तो 3 अक्टूबर 1990 को जिस दिन अयोध्या में कारसेवा थी। तब उस वक्त मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा। इसके बाद 3 बजे खबर आई कि कुछ नहीं हुआ है वहां। इसके बाद दूरदर्शन और आकाशवाणी की खबर आई कि वहां कुछ नहीं हुआ। इसके बाद नवभारत टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया में भगवा झंडा लगाए कारसेवकों की तस्वीर छपी था। सुधांशु ने आगे कहा कि कांग्रेस चाहती थी कि मुझसे कोई सवाल ही नहीं होना चाहिए। सबकुछ एकतरफा होना चाहिए, लेकिन अब दोनों तरफ से सवाल आने लगे हैं, तो ये लोग असहज हो गए हैं।