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Dilemma: नाराज हरीश रावत का गुस्सा प्रियंका भी नहीं करा सकीं शांत, आज राहुल करेंगे कोशिश

उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के बगावती तेवर अभी शांत नहीं हुए हैं। हरीश रावत ने गुरुवार को प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात कर अपना दर्द उड़ेला। सूत्रों के मुताबिक प्रियंका ने हरीश रावत से कहा कि उनकी दिक्कतों का समाधान किया जाएगा, लेकिन हरीश रावत फिलहाल इस भरोसे से संतुष्ट नहीं हैं।

नई दिल्ली। कांग्रेस अजब मुसीबत में है। राजस्थान में सचिन पायलट की बगावत किसी तरह शांत कराई। फिर पंजाब की मुसीबत गले पड़ी। अब मामला उत्तराखंड पर जाकर टिका है। उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के बगावती तेवर अभी शांत नहीं हुए हैं। हरीश रावत ने गुरुवार को प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात कर अपना दर्द उड़ेला। सूत्रों के मुताबिक प्रियंका ने हरीश रावत से कहा कि उनकी दिक्कतों का समाधान किया जाएगा, लेकिन हरीश रावत फिलहाल इस भरोसे से संतुष्ट नहीं हैं। अब आज उनकी मुलाकात राहुल गांधी से होनी है। इसके बाद ही हरीश रावत अपना अगला कदम तय करेंगे।

कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक हरीश रावत के मामले के बाद कांग्रेस आलाकमान हैरत में है कि उत्तराखंड में जो कुछ भी चल रहा था, उसकी जानकारी तक उसके पास नहीं थी। बता दें कि हरीश रावत और कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव के बीच तलवारें खिंची हैं। हरीश रावत का आरोप है कि देवेंद्र यादव उन्हें अनदेखा कर रहे हैं। एक जनसभा से हरीश रावत की फोटो हटाने के मसले पर नाराजगी और बढ़ गई। इसके बाद हरीश रावत ने बुधवार को ट्वीट्स की झड़ी लगाते हुए कहा था कि आलाकमान और उसके करीबी ही उन्हें किनारे लगा रहे हैं। इसके बाद देवेंद्र यादव ने आलाकमान के कहने पर हरीश रावत से संपर्क कर मनाने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें वो नाकाम रहे थे। अब आलाकमान ने उत्तराखंड से सभी नेताओं को बुलाया है, ताकि खेमेबाजी पर लगाम कसी जा सके।

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गुरुवार को हरीश रावत और उनका खेमा कांग्रेस आलाकमान से मुंह फुलाए बैठा था। वहीं, कांग्रेस के दो और सांसद भी आलाकमान पर निशाना साध रहे थे। पंजाब से सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट कर लिखा था कि अब कोई कसर बाकी न रह जाए। वहीं, केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने एक अखबार में लिखा था कि कांग्रेस के नेताओं को उन्होंने कई बार कहा है कि संसद सत्र का बहिष्कार करने से पहले सरकार की बात भी सुनी जानी चाहिए। थरूर ने यहां तक कहा है कि पार्टी में उनकी हालत किसी अल्पसंख्यक की तरह है।