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TV Debate: “क्या लाठी, डंडा और गोली खाकर ही तुम्हारे दिमाग में अक्ल आती है”, वकील ने की इस्लामिक स्कॉलर हाजी मेहरुद्दीन रंगरेज की बोलती बंद  

TV Debate: इस न्यूज प्रोग्राम के दौरान कानपुर हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने पर चर्चा हुई। इसी बीच इस्लामिक स्कॉलर मेहरुद्दीन और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक सोम इस नीति को गलत बता रहे थे। इसके बाद वकील के तौर पर मौजूद रहे तेजतर्रार डॉ. रिजवान अहमद ने इन दोनों की बोलती बंद कर दी

नई दिल्ली। इन दिनों हर जगह कानपुर हिंसा की बात हो रही है। कानपुर में हुई हिंसा ने देशभर एक बार हो रही हिंसा की खबरों को एक नए तरीके से चर्चा की शुरुआत कर दी है। दरअसल, कानपुर हिंसा में दो पक्षों के बीच जमकर पथराव, फायरिंग और पेट्रोल बम तक चले थे। हिंसा के बाद मीडिया में आई खबरों के मुताबिक माना जा रहा है कि कानपुर हिंसा को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड को जब यूपी पुलिस और एटीएस ने गिरफ्तार किया तो उसने कई राज भी खोले हैं। इसी कड़ी में सोमवार को समाचार जी न्यूज में ‘ताल ठोक के’ कार्यक्रम हुआ। इसमें शो की होस्ट अदिति त्यागी रही। इस कार्यक्रम में अपना-अपना पक्ष रखने के लिए रतन शारदा RSS की तरफ से, अभिषेक सोम समाजवादी पार्टी की तरफ से, हाजी मेहरुद्दीन रंगरेज इस्लामिक स्कॉलर के तौर पर और डॉ. रिजवान अहमद वकील के तौर पर शो में मेहमान बनकर आए थे।

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इस न्यूज प्रोग्राम के दौरान कानपुर हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के द्वारा अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने की चर्चा हुई। इसी बीच इस्लामिक स्कॉलर मेहरुद्दीन और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक सोम योगी सरकार की इस नीति को गलत बता रहे थे। इसके बाद वकील के तौर पर मौजूद रहे तेजतर्रार डॉ. रिजवान अहमद ने इन दोनों की बोलती बंद कर दी और एक के बाद एक खरी-खोटी सुनाकर कुछ देर के लिए मेहरुद्दीन रंगरेज और अभिषेक सोम का मुंह बंद कर दिया।

क्या लाठी, डंडा खा कर तुम्हारे दिमाग में अकल आती है- डॉ. रिजवान अहमद

‘ताल ठोक के’ कार्यक्रम के दौरान इस्लामिक स्कॉलर और सपा नेता को करारा जवाब देते हुए डॉ. रिजवान अहमद ने कहा कि “पहले दिन से मैं एक बात को बार-बार दोहरा रहा हूं। अगर किसी की वजह से देश में राजनीतिक और धार्मिक समस्या खड़ी हुई है। इसके बाद अगर नाम लेना है तो रहमानी और नूपुर दोनों का लो। नूपुर शर्मा का नाम अकेले इस विवाद में नही लिया जाएगा। जब देश का माहौल खराब हो रहा होता है तब तथाकथित इस्लामिल इस्कॉलर अपने रुतबे में रहते हैं, लेकिन जब बवाल हो जाता है मकान टूटने लगते हैं, लाठी चल जाती है। इसके बाद इन लोगों की भाषा में बदलाव होने लगता है। जैसे देश सविंधान से चलना चाहिए, घर क्यों गिरा रहे हो? हिंसा के बाद जब सरकार कार्यवाही करती है तो इसके बाद इन लोगों की भाषा में बदलाव आ जाता है। मेरे कहने का मतलब ये है कि क्या लाठी, डंडा और गोली खाकर ही इनके दिमाग में अकल आती है।” आप भी देखिए रिजवान अहमद की महत्वपूर्ण बातें।