नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता पर छिड़ी तीखी बहस के बीच AIIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर इसको लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। शुक्रवार, 14 जुलाई को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओवैसी ने कहा कि उन्होंने सेवानिवृत्त न्यायाधीश गोपाल गौड़ा की कानूनी राय के साथ विधि आयोग को अपना जवाब सौंप दिया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट के वकील निज़ाम पाशा ने इस प्रतिक्रिया को तैयार करने में सहायता की।
ओवैसी ने विधि आयोग द्वारा जारी अधिसूचना को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि अधिसूचना में लोगों की राय मांगी गई थी, लेकिन इसमें कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया था। मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने टिप्पणी की कि विधि आयोग पांच साल की अवधि के बाद एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर अभ्यास कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा हर चुनाव से पहले होता है ताकि बीजेपी को आगामी चुनाव में फायदा मिल सके।
समान नागरिक संहिता भारत में लंबे समय से बहस का विषय रही है। यह सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों का एक सामान्य सेट प्रस्तावित करता है। समर्थकों का तर्क है कि एक समान संहिता लैंगिक समानता और सामाजिक एकता को बढ़ावा देगी, जबकि विरोधियों का मानना है कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को कमजोर कर देगा।