नई दिल्ली। द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले ली है। वह निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ संसद पहुंचीं। जहां ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने द्रौपदी मुर्मू को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जब मुर्मू ने शपथ लेनी शुरू की, तो संसद का सेंट्रल हॉल वहां मौजूद लोगों की डेस्क पर थाप की आवाज से गूंज उठा। द्रौपदी इसके साथ ही देश की सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति बन गई हैं। उनकी उम्र 64 साल है। वो पहली राष्ट्रपति हैं, जो देश की आजादी के बाद पैदा हुईं। उनका राजनीतिक करियर 25 साल का और बेदाग रहा है। द्रौपदी मुर्मू जनजातीय समाज से पहली राष्ट्रपति भी हैं। सियासत में आने से पहले वो स्कूल टीचर और ओडिशा सरकार में क्लर्क भी रही हैं।
निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली के राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित की।#DraupadiMurmu pic.twitter.com/hLWUo3DalY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 25, 2022
शपथग्रहण से पहले द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पहुंचीं और वहां अपनी श्रद्धांजलि दी। द्रौपदी मुर्मू के शपथग्रहण समारोह के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, तमाम मंत्री और सांसद, कई देशों के राजनयिक, तीनों सेनाध्यक्ष भी थे। इनके अलावा मुर्मू के भाई, भाभी, बेटी और दामाद भी परिवार की तरफ से संसद के केंद्रीय कक्ष में मौजूद थे। राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में सेना ने 21 तोपों की सलामी दी। राष्ट्रपति मुर्मू अब अगले 5 साल तक इस पद पर रहेंगी। ओडिशा के एक छोटे से गांव रायरंगपुर से देश के सबसे ऊंचे संवैधानिक पद तक पहुंचने की उनकी कहानी प्रेरणा देने वाली है। द्रौपदी के मुकाबले राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को मैदान में उतारा था। उनको मुर्मू ने करीब 67 फीसदी वोट हासिल कर पराजित किया।
द्रौपदी मुर्मू की छवि इतनी साफ है कि विपक्ष में भी लोग उनको पसंद करते हैं। उनकी उम्मीदवारी को देखते हुए बीजेपी का विरोध करने वाली जेएमएम तक ने वोट दिया। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के तमाम विधायकों और सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनने में अहम भूमिका निभाई है। कुल 126 विधायकों ने मुर्मू के समर्थन में क्रॉस वोटिंग की। जबकि, 17 विपक्षी सांसदों ने भी उनको वोट दिया। एनडीए की तरफ से वो राष्ट्रपति पद को फिर संभालने वाली दूसरी राष्ट्रपति हैं। उनसे पहले एनडीए की तरफ से रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति निर्वाचित कराया गया था।