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ED Action In Jharkhand Land Scam Case: झारखंड जमीन घोटाला में ईडी की कार्रवाई तेज, जेएमएम नेता समेत 4 लोगों को किया गिरफ्तार, जानिए किस तरह हुआ था फर्जीवाड़ा

ED Action In Jharkhand Land Scam Case: झारखंड में हुए जमीन घोटाला मामले में ईडी ने पहले ही जेएमएम नेता और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था। झारखंड जमीन घोटाला का खुलासा जून 2022 में होना शुरु हुआ था। रांची के बरायतु थाने में टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा ने एफआईआर कराई थी।

रांची। झारखंड में हुए जमीन घोटाला मामले में ईडी की कार्रवाई तेज हो गई है। ईडी ने जमीन घोटाला मामले में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी जेएमएम के नेता अंतु तिर्की को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। जेएमएम नेता के अलावा रियल एस्टेट का काम करने वाले विपिन सिंह, प्रियरंजन सहाय और इरशाद को ईडी ने गिरफ्तार किया है। इन सभी के ठिकानों पर ईडी ने मंगलवार को छापा मारा था। छापेमारी के बाद रात को उनको रांची में ईडी के दफ्तर लाया गया। जिसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की गई।

झारखंड में हुए जमीन घोटाला मामले में ईडी ने पहले ही जेएमएम नेता और पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था। झारखंड जमीन घोटाला का खुलासा जून 2022 में होना शुरु हुआ था। रांची के बरायतु थाने में रांची नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इस एफआईआर में प्रदीप बागची को आरोपी बनाया गया। प्रदीप बागची पर आरोप लगा कि उसने फर्जी कागजात के जरिए सेना की संपत्ति हड़प ली। ईडी ने जब जांच की, तो 4.5 एकड़ जमीन बीएम लक्ष्मण राव की निकली। लक्ष्मण राव ने आजादी के बाद जमीन सेना को दे दी थी। ईडी ने सबूत मिलने पर अप्रैल 2023 में प्रदीप बागची समेत 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया।

ईडी के हत्थे चढ़ने वाले 7 लोगों में अफसर अली और भानु प्रताप सरकारी कर्मचारी थे। बाकी सभी जमीन माफिया थे और फर्जी दस्तावेजों की मदद से जमीन बेचने का काम करते थे। ईडी ने इस जमीन घोटाला मामले में 4 मई 2023 को आईएएस छवि रंजन को भी गिरफ्तार किया था। छवि रंजन रांची में 2 साल डिप्टी कलेक्टर रहे थे। छवि रंजन पर आरोप है कि उन्होंने जमीन की अवैध खरीद और बिक्री में मदद की। ईडी का दावा है कि जांच के दौरान उसने पाया कि प्रदीप बागची को सेना की जमीन का असली मालिक दिखाने के लिए जमीन माफिया, बिचौलियों और नौकरशाहों ने मिलकर घोटाला किया। इसके लिए 1932 का एक दस्तावेज भी दिखाया गया। ये दस्तावेज पूरी तरह फर्जी था।