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Delhi: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के मुताबिक अभी विपक्ष में नहीं PM मोदी को हराने की ताकत, गिनाईं ये वजहें

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बहुत बार पाला बदला, लेकिन अब तक उनके हाथ खाली ही हैं। अब प्रशांत ये बता रहे हैं कि साल 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी की सत्ता को किस तरह दिल्ली की गद्दी से हटाया जा सकता है। हालांकि ये भी कहा कि मौजूदा विपक्ष में मोदी को हराने की ताकत नहीं है।

नई दिल्ली। साल 2014 में मोदी। उसके बाद जेडीयू अध्यक्ष रहे और बिहार के सीएम नीतीश कुमार। उसके बाद पंजाब में कांग्रेस के सीएम रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह। फिर राहुल गांधी और प्रियंका से मुलाकात। और अब टीएमसी चीफ और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बहुत बार पाला बदला, लेकिन अब तक उनके हाथ खाली ही हैं। अब प्रशांत ये बता रहे हैं कि साल 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी की सत्ता को किस तरह दिल्ली की गद्दी से हटाया जा सकता है। अंग्रेजी चैनल एनडीटीवी पर प्रशांत किशोर ने हालांकि ये भी कहा कि मौजूदा विपक्ष में मोदी को हराने की ताकत नहीं है।

PM Narendra Modi

लेकिन पहले जान लेते हैं कि प्रशांत किशोर की आखिर कांग्रेस में एंट्री क्यों नहीं हुई। कांग्रेस सूत्रों ने बताया था कि प्रशांत किशोर बड़ा पद चाह रहे थे, लेकिन प्रशांत का कहना है कि मेरी और कांग्रेस की सोच नहीं मिल सकी। टीवी चैनल से बातचीत में पीके ने कहा कि ममता बनर्जी की पार्टी अब देशभर में फैलना चाहती है और इस काम में मदद के लिए उनकी संस्था आई-पैक काम कर रही है। बीजेपी को 2024 में हराने के लिए प्रशांत किशोर का कहना था कि विपक्ष को उत्तर और पश्चिम की कम से कम 100 सीटें जीतनी होंगी। उनका कहना था कि अगर विपक्ष बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र और केरल की 200 सीटें भी जीत ले, तो भी बीजेपी को हरा नहीं सकेगी।

Prashant Kishor

प्रशांत किशोर ने इस इंटरव्यू में ये भी कहा कि विपक्ष जिस तरह से मौजूदा हालत में है, उसमें वो साल 2024 में बीजेपी को हरा नहीं सकती। उनका कहना था कि थोड़े समायोजन और बदलाव से ये काम हो सकता है। पीके ने कहा कि सही तरीके से संगठन बनाने की जरूरत है। प्रशांत ने कहा कि जो भी पार्टी बीजेपी को हराना चाहती है, उसके पास अगले 5 से 10 साल की सोच होनी चाहिए। ये 5 महीने में होने वाली चीज नहीं है। ऐसे में देश को व्यक्ति नहीं, मजबूत विपक्ष की जरूरत है।