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Winter Session: राज्यसभा में चेयर की तरफ किताब फेंकना डेरेक ओ ब्राउन को पड़ा भारी, सभापति ने उठाया कठोर कदम

उन्होंने इस तरह का व्यवहार अपने रोष को जाहिर करने के लिए किया। संसद में सरकार की तरफ से चुनाव संशोधन विधेयक 2021 पेश किया जा रहा है। जिसका संसद में विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं, मगर केंद्र सरकार इसे किसी भी कीमत पर सदन से पारित कराने की स्थिति मुद्रा में नजर आ रही है।

नई दिल्ली। लोकतांत्रिक देश में किसी भी मसले पर एक स्वस्थ्य बहस के लिए अभिव्यक्ति की आजादी की नितांत आवश्यकता होती है। यह आजादी किसी भी मसले को एक निर्णायक स्थिति पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाती है। लेकिन कई बार देखा जाता है कि कुछ लोग इस आजादी का बेजा इस्तेमला करते हुए अनुचित व्यवहार कर जाते हैं, जिसके बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा निर्धारण को लेकर बहस छिड़ जाती है। आज संसद में विपक्षी दलों की तरफ से एक बार फिर ऐसा अनुचित व्यवहार किया गया है, जिसके बाद से अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर बहस का सिलसिला शुरू हो चुका है। दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्राउन ने सेक्रेटेरी जनरल के ऊपर ही रूल बुक फेंक दिया है।

डेरेक ओ ब्राउन

उन्होंने इस तरह का व्यवहार अपने रोष को जाहिर करने के लिए किया। संसद में सरकार की तरफ से चुनाव संशोधन विधेयक 2021 पेश किया जा रहा है। जिसका संसद में विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं, मगर केंद्र सरकार इसे किसी भी कीमत पर सदन से पारित कराने की स्थिति मुद्रा में नजर आ रही है। जिसे लेकर पिछले कुछ दिनों से संसद में गरमा गरम बहस देखने को मिल रही है। इसी कड़ी में टीएमसी के नेता की डेरेक ओ ब्राउन ने विरोध करते हुए ऐसा अनुचित व्यवहार किया है। उनके इस रवैये की कई नेताओं ने भत्सर्ना की है। जिसमें पीयूष गोयल और भूपेंद्र यादव शामिल हैं। बता दें कि भुपेंद्र यादव ने टीएमसी नेता के इस रवैये की भत्सर्ना करते हुए कहा कि किसी भी दल का नेता हो, लेकिन इस तरह का रवैया कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

जनरल सेक्रेटेरी पर रूल बुक फेंकना अपमानजनक है। इस तरह के रवैये के प्रति सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में कोई भी दल का नेता ऐसा कृत्य करने से पहले हजार मर्तबा सोचे हैं। वहीं,  डेरेक ओ ब्राउन के रवैये को लोग अब अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़कर देख रहे हैं। कह रहे हैं कि क्या अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में आपकी सारी  हदों को पार कर देने की छूट मिल गई है।  खैर, इन सवालों को लेकर बहस का सिलसिला तो जारी रहेगा ही, लेकिन आइए आगे आपको चुनाव कानून संशोधन के बारे में विस्तार से बताते हैं, जिसे लेकर पिछले कुछ दिनों संसद में  हंगामा देखने को मिल रहा है।


जानें, बिल में क्या है प्रावधान?

बता दें कि इस विधेयक के तहत अब 18 साल के युवा चार बार अपना वोटर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। एक जनवरी के साथ एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर को भी नौजवान खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करा सकेंगे। इससे युवाओं के वोटर आईडी कार्ड जल्द बन सकेंगे। अभी तक तो साल में एक बार यानी एक जनवरी से पहले 18 साल के होने पर खुद को वोटर के रूप में रजिस्टर्ड किया जा सकता है। अब इसी विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार की तरफ तमाम संसदीय प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जा रहा है, जिसे लेकर विपक्षी अपने रोष के परिणामस्वरूप विरोध की नुमाइश करते हुए देखे जा रहे हैं।