नई दिल्ली। किसान नेता राकेश टिकैत के अड़ियल रवैये का पंजाब के किसान नेता विरोध कर रहे हैं। इन किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने बड़ी मांगें मान ली हैं, तो बेवजह आंदोलन को लंबा खींचना ठीक नहीं लगता। बता दें कि राकेश टिकैत ने कहा है कि जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा और कुछ अन्य मुद्दों पर सरकार फैसला नहीं लेगी, तब तक किसान आंदोलन चलता रहेगा। टिकैत ने इसके लिए बाकायदा सरकार को 26 जनवरी तक का अल्टीमेटम भी दिया है। धमकी भरे अंदाज में टिकैत ने कहा है कि 26 जनवरी भी दूर नहीं है और ट्रैक्टर भी हैं। गौर करने की बात ये है कि इस साल 26 जनवरी को किसान आंदोलन के दौरान ट्रैक्टर मार्च निकाला गया था। जिसके बाद दिल्ली के लालकिले और अन्य जगह बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। आंदोलन में पंजाब के 32 किसान संगठन भी शामिल हैं। ये संगठन अब घर वापसी करना चाहते हैं। कल संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है। जिसमें इस बारे में पंजाब के किसान संगठन अपनी ये राय रखेंगे।
पंजाब में किसान संगठन टोल प्लाजा पर लगे धरने हटाने के लिए भी तैयार हैं। साथ ही नेताओं का बहिष्कार और कॉरपोरेट कंपनियों का विरोध भी बंद करना चाहते हैं। पंजाब के किसान संगठनों ने ही सबसे पहले आंदोलन की शुरुआत की थी। इस वजह से उनकी राय काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पंजाब के किसान नेता हरमीत कादियां ने मीडिया से कहा कि किसान जीत चुके हैं। अब घर लौटना चाहिए क्योंकि हमारे पास और कोई बहाना नहीं है। कादियां ने कहा कि पराली जलाने पर केस न करने का फैसला भी सरकार ने किया है। एमएसपी पर सरकार कमेटी बना ही रही है। सरकार बस ये बता दे कि इस कमेटी में किसानों के प्रतिनिधि लिए जाएंगे या नहीं।
हरमीत ने कहा कि उनकी मांग है कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा मिले और साथ ही किसानों पर दर्ज केस वापस हों। एक और किसान नेता जगवीर सिंह ने कहा कि मोदी को वो शुक्रिया कहना चाहते हैं। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरुनानक जयंती के मौके पर कृषि कानून वापस लेने का एलान किया था। कल ही सरकार ने संसद के दोनों सदनों में बिल पास कराकर कानूनों को वापस ले लिया है। हालांकि राकेश टिकैत और विपक्ष के नेता अड़ियल रवैया दिखा रहे हैं, लेकिन पंजाब के किसान संगठनों की राय के बाद अब कल किसान आंदोलन खत्म करने का फैसला होने की पूरी उम्मीद दिख रही है।