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UP News : शुक्रवार या रविवार? यूपी में मदरसों की छुट्टी का नया कैलेंडर किया गया जारी, तो मच गया बवाल..

UP News : मदरसों की छुट्टी को लेकर मचे बवाल के बीच अली ने सोमवार को पीटीआई-भाषा से बातचीत में मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद पर बोर्ड के अन्य सदस्यों से राय लिए बगैर वर्ष 2023 के लिए मदरसों की छुट्टी का कैलेंडर जारी करने का आरोप लगाया और कहा कि वह इसकी कंप्लेन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से खुद जाकर करेंगे।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मदरसों की छुट्टी को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। यहां पर सवाल यह है कि मदरसों में छुट्टी रविवार को होगी या शुक्रवार को, इसे लेकर विवाद जारी है। इसी बीच साप्ताहिक छुट्टी का नया कैलेंडर जारी कर दिया गया है। इससे राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड में विवाद पैदा हो गया है। रविवार को छुट्टी का प्रस्ताव रखने वाले बोर्ड के सदस्य कमर अली ने बिना आपसी सहमति के कैलेंडर जारी किए जाने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत करने की बात कही है।

गौरतलब है कि मदरसों की छुट्टी को लेकर मचे बवाल के बीच अली ने सोमवार को पीटीआई-भाषा से बातचीत में मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद पर बोर्ड के अन्य सदस्यों से राय लिए बगैर वर्ष 2023 के लिए मदरसों की छुट्टी का कैलेंडर जारी करने का आरोप लगाया और कहा कि वह इसकी कंप्लेन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से खुद जाकर करेंगे। अली ने कहा कि 20 दिसंबर को बोर्ड द्वारा बुलाई गई एक बैठक में उन्होंने मदरसों की छुट्टी शुक्रवार की जगह रविवार को करने का प्रस्ताव रखा था और बोर्ड अध्यक्ष जावेद ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि इस प्रस्ताव पर जनवरी में होने वाली बोर्ड की पूर्ण बैठक में फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी बीच जावेद ने 24 दिसंबर को बगैर बताए वर्ष 2023 के लिए मदरसों की छुट्टी को लेकर कैलेंडर पेश किया है।

आपको बता दें कि उन्होंने मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष के ऊपर मनमानी करने का आरोप लगाया और कहा कृपया किसी भी काम को करने से पहले किसी भी सदस्य से कोई राय नहीं लेते। उन्होंने कहा कि बोर्ड के सदस्य मुस्लिम कौम के लिए जवाबदेह हैं, ऐसे में नुकसानदायक फैसलों की स्थिति में उनके सामने अजीबोगरीब हालात पैदा होते हैं। इस बीच, मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने कमर अली के आरोपों को गलत करार देते हुए कहा कि अगर वह मुख्यमंत्री से शिकायत करते हैं, तो करें। उन्होंने कहा, ”जो दिन-प्रतिदन के काम हैं, वह तो करना जरूरी ही है।”