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Rajasthan: गहलोत को उनके ही मंत्री ने दिखाया आईना, कह दी ऐसी बात कि लगता है, फिर मचेगा बवाल, क्योंकि…

Rajasthan: दरअसल, आपको बता दें कि गहलोल सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि गहलोत जी बोलते बहुत ज्यादा है, लेकिन उस पर चिंता करते हैं, तो अच्छा रहता। उन्होंने आगे कहा कि राजनीति में प्रतिबद्धता बहुत जरूरी है। अभी अजय माकन को ही देख लीजिए। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने मुझसे वादा किया था, लेकिन उन्होंने पूरा नहीं किया।

नई दिल्ली। चलिए राजस्थान चलते हैं। कुछ दिनों पहले ही वहां चितिंन शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने अपनी मौजूदगी दर्ज करकार देश की सर्वाधिक पुरानी पार्टी की स्थिति को दुरूस्त करने की दिशा में रूपरेखा खींचने का काम किया था, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखकर ऐसा लगता नहीं है कि आगामी दिनों में उक्त रूपरेखा के जीवंत होने की कोई संभावना है। जहां एक तरफ सोनिया-राहुल को नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी की तरफ से नोटिस जारी किया जा चुका है, तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी की स्थिति भी कुछ खास दुरूस्त नजर नहीं आ रही है, लेकिन इन सबसे बेखबर राहुल अभी विलायत में भारत के खिलाफ प्रोपोगेंडा फैलाने में मसरूफ हैं। उधर, अब राजस्थान में ही देख लीजिए। लेकर देकर तो कुछ राज्यों ही कांग्रेस की सरकार है। जिसमें से राजस्थान भी शामिल है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस तरह राजस्थान सरकार में मंत्रियों का असंतोष सतह पर नजर आ रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए पार्टी आलाकमान भी उदासीन ही नजर आ रहे हैं। इसी बीच खबर है कि गहलोत सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने दबी जुबां से ही लेकिन गहलोत पर तंज कसा है, वो भी राज्यसभा चुनाव से पहले।

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दरअसल, आपको बता दें कि गहलोत सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि गहलोत जी बोलते बहुत ज्यादा हैं, लेकिन उस पर चिंता करते तो अच्छा रहता। उन्होंने आगे कहा कि राजनीति में प्रतिबद्धता बहुत जरूरी है। अभी अजय माकन को ही देख लीजिए। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने मुझसे वादा किया था, लेकिन उन्होंने पूरा नहीं किया। आगे उन्होंने कहा कि वैसे उदयपुर अच्छी जगह है, लेकिन बंद होने के लिए कतई नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि बसपा से हमारे कुछ साथी आए हैं, लेकिन उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए था, अफसोस वो मिला नहीं है और रही बात पार्टी आलाकमान की, तो उन्हें इससे कोई फर्क पड़ता नहीं है। अब इतना सब कुछ पढ़ लेने के बाद आपको यह समझने में कोई जमहत नहीं उठानी होगा कि  गुढ़ा ने अपने उपरोक्त बयान के सहारे गहलोत सरकार को आड़े हाथ लिया है।

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वहीं,  बसपा से कांग्रेस का दामन थामने वाले वाजिब अली ने प्रतिक्रियास्वरूप अपने बयान में कहा कि हमें पार्टी की तरफ से कोई पद नहीं दिया गया है। खैर, कोई बात नहीं है, मुझे लगता है कि देने वालों को भी संतुलना बैठना पड़ता है। हमें जो जिम्मेदारी जनता ने दी है, उसका बखूबी निर्वहन कर रहे हैं, हमें इसकी कोई टिस नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अफसरशाही की कमजोरी की वजह से सरकार की योजनाएं सही से क्रियान्वित नहीं हो पाती। मेरे क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी और अवैध खनन से संबंधित शिकायतें हैं। उन्होंने आगे अपने बयान में कहा कि कई मर्तबा इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा जा चुका है, लेकिन अफसोस अभी तक मुख्यमंत्री की ओर से किसी भी प्रकार का संज्ञान नहीं लिया गया है। ध्यान रहे कि यह बयान ऐसे वक्त में काफी मायने रखता है, जब कुछ माह बाद राजस्थान में चुनावी बिगुल बजने जा रहा है। वैसे तो राजस्थान में हमेशा से ही सत्ता परिवर्तन का सिलसिला जारी है, लेकिन अब ऐसी स्थिति में देखना होगा कि जब कांग्रेस पूरे देश से सिमटती जा रही है, तो क्या राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव में कमाल दिखा पाने में सफल रहेगी? क्या अभी हाल  ही में उदयपुर में आयोजित हुई तीन दिनी चिंतन शिविर में जिन मसलों पर चर्चा हुई थी, उसे जमीनी स्तर पर उतारने की दिशा में कोई कदम उठाया जाएगा? यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, तब तक के लिए  आप देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के  लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम