लखनऊ। यूपी विधानसभा की 403 सीटों के लिए कल यानी गुरुवार से वोटिंग शुरू होगी। प्रदेश में 7 दौर में वोटिंग कराई जाएगी। इस दौरान सत्तारूढ़ बीजेपी, सपा, बीएसपी और कांग्रेस के बीच ज्यादातर जगह जंग होने की उम्मीद है। इस जंग में सबकी नजरें पश्चिमी यूपी की एक खास सीट पर है। वजह ये है कि जो भी पार्टी इस सीट को जीतती है, वो ही यूपी में सरकार बनाती है। इस सीट का नाम हस्तिनापुर है। हस्तिनापुर को पांडवों की राजधानी भी माना जाता है। लोग कहते हैं कि पांडवों की राजधानी वाली सीट को जीतने वाला सरकार इसलिए बना लेता है क्योंकि उसे भगवान कृष्ण का आशीर्वाद हासिल हो जाता है।
इस सीट पर हुए चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो ये कहावत सच लगने लगती है। साल 1957 में यहां से कांग्रेस के विशंभर सिंह ने चुनाव जीता था और संपूर्णानंद सीएम बने थे। इसके बाद 1962 और 1967 के चुनाव में भी कांग्रेस ने हस्तिनापुर सीट जीतकर सरकार बनाई थी। 1969 में कांग्रेस यहां से हार गई और चौधरी चरण सिंह सीएम बन गए। 1974 में कांग्रेस ने फिर ये सीट जीत ली और हेमवती नंदन बहुगुणा के सिर पर सीएम का ताज सजा। 1976 में भी कांग्रेस ने हस्तिनापुर पर जीत हासिल की और एनडी तिवारी यूपी के सीएम बन गए। 1977 में जनता पार्टी ने सीट जीती और रामनरेश यादव सीएम बने। 1980 में कांग्रेस ने फिर चुनाव जीता और वीपी सिंह सीएम बने। इसी तरह 1985 में कांग्रेस ने हस्तिनापुर पर कब्जा कायम रखा और एनडी तिवारी फिर सीएम बन गए।
साल 1989 में मुलायम सिंह की तत्कालीन जनता दल (समाजवादी) ने ये सीट जीती और सरकार बना ली। 1996 में बीएसपी ने इस सीट पर कब्जा जमाया और लखनऊ में मायावती सीएम बन गईं। 2002 में सपा ने हस्तिनापुर जीता और मायावती के बाद छह महीने के लिए मुलायम फिर सीएम बन गए। ये संयोग 2007 में भी दिखा जब बीएसपी ने ये सीट जीती और मायावती फिर सीएम बन गईं। 2012 के चुनाव में सपा ने सीट जीतकर अखिलेश यादव को सीएम बनवा दिया। वहीं, 2017 में बीजेपी की ये सीट हो गई और यूपी में कमल के चिन्ह वाली पार्टी की सरकार के मुखिया के तौर पर योगी आदित्यनाथ बैठ गए।