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Builder-Authority Nexus: सुपरटेक ट्विन टावर फर्जीवाड़े में 6 तत्कालीन अधिकारियों पर SIT की नज़र, ये है उनकी पहचान

Noida Authority : वैसे यहां एक बात और नोटिस करने लायक है कि नोएडा अथॉरिटी की प्राथमिक जांच में जिन 6 अधिकारियों के नाम सामने आए हैं उनमें कोई भी सीईओ स्तर का बड़ा अधिकारी नहीं है।

नोएडा। नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर मामले को सीएम योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से लेते हुए इस पूरे मामले की जांच SIT से कराने का फैसला किया था। जिसकी जांच अब पूरी हो चुकी है। बता दें कि एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट मामले में नोएडा अथॉरिटी में हुए फर्जीवाड़े में यह जांच नोएडा अथॉरिटी की CEO के निर्देश पर अथॉरिटी के दोनों ACEO ने की है। इस में पाया गया है कि प्राथमिक स्तर पर इस फर्जीवाड़े के लिए 6 अधिकारियों को जिम्मेदार माना गया है और उनके नाम अथॉरिटी ने शासन को भेज दिए हैं। इन नामों को लेकर अब शासन स्तर से ही फैसला किया जाएगा कि इन पर विभागीय जांच या क्या कार्रवाई शुरू की जाएगी। बता दें कि इस मामले में हुई जांच में तथ्य सामने आए हैं कि अथॉरिटी के तत्कालीन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए बिल्डर के दोनों टावर के नक्शे को पास कर दिया। इसके बाद आरडब्ल्यूए के सवालों का आरटीआई में जवाब भी नहीं दिया गया न ही संशोधित नक्शा दिखाया गया। सूत्रों का कहना है कि इन 6 अधिकारियों में एक तत्कालीन ईएक्सईएन हैं। वह उस समय नक्शा कमिटी के सदस्य थे। मौजूदा समय में वह रिटायर हो चुके हैं। इसके अलावा 4 अधिकारी प्लानिंग विभाग से हैं। इनमें एक प्रशासनिक स्तर के अधिकारी का नाम है। प्लानिंग विभाग के जिन अधिकारियों का नाम आ रहा है उनमें से 3 के रिटायर होने की जानकारी है। एक अधिकारी दूसरी अथॉरिटी में तैनात हैं। वहीं प्रशासनिक स्तर के अधिकारी का नाम अभी खुला नहीं हुआ है।

विशेष बात यह है कि सभी 6 जिम्मेदारों पर कार्रवाई शासन स्तर से ही होनी है। अथॉरिटी स्तर से इनकी विभागीय जांच ही हो सकती है। महत्वपूर्ण तथ्य यह होंगे कि संबंधित जिम्मेदारों पर अथॉरिटी की इस जांच में किस स्तर की धोखाधड़ी या फर्जीवाड़ा किए जाने की बात तय की गई है।

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बिल्डर को भी माना गलत

नोएडा अथॉरिटी के दोनों एसीईओ ने अपनी जांच में फर्जीवाड़े के लिए सुपरटेक बिल्डर को भी जिम्मेदार माना है। इसमें एमरॉल्ड कोर्ट सोसायटी की आरडब्ल्यूए की तरफ से उठाए गए सभी बिंदु शामिल किए गए हैं। अब यह आगे तय होगा कि बिल्डर पर कार्रवाई के लिए अथॉरिटी को शासन से क्या निर्देश मिलते हैं।

नोएडा अथॉरिटी की पहली जांच जो एक दिन में पूरी हुई

सीएम योगी आदित्यनाथ की सख्ती और मौजूदा नोएडा अथॉरिटी अधिकारियों की कार्यशैली का ही असर हैं कि बुधवार को ही पूरे फर्जीवाड़े पर अथॉरिटी ने प्राथमिक जांच पूरी कर ली। सीईओ ने यह जांच प्राथमिकता पर करवाई। देर रात तक दोनों एसीईओ अथॉरिटी में बैठकर जांच करते रहे। शासन के अधिकारी लगातार जांच की स्थिति का अपडेट ले रहे थे। प्राथमिक स्तर पर नाम तय होने के बाद यह नाम शासन में बताए गए। इसके बाद ही अधिकारी अथॉरिटी से घर गए। इस तरह से नोएडा अथॉरिटी में यह पहली जांच होगी जो एक दिन के अंदर ही पूरी हो गई।

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तत्कालीन सीईओ और एसीईओ की जिम्मेदारी तय होगी

नोएडा अथॉरिटी की प्राथमिक जांच में जिन 6 अधिकारियों के नाम सामने आए हैं उनमें कोई भी सीईओ स्तर का अधिकारी नहीं है। एक प्रशासनिक अधिकारी का नाम है, वह ओएसडी थे या एसीईओ यह भी अभी स्पष्ट नहीं है। सीएम ने एसआईटी जांच के निर्देश दिए हैं।

एसआईटी में शासन स्तर के सीनियर अधिकारी होंगे। वह तत्कालीन सीईओ व एसीईओ स्तर के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करेंगे। अब अथॉरिटी अधिकारियों की नजरें एसआईटी गठन के इंतजार और जांच शुरू होने पर लगी हुई हैं। एसआईटी को जांच शुरू करने के लिए या एसआईटी बनाने के लिए नोएडा अथॉरिटी की प्राथमिक जांच को शासन स्तर पर आधार बनाया जा सकता है।

एसआईटी जांच के घेरे में होंगे ये अफसर

इस प्रकरण में नोएडा अथॉरिटी ने प्राथमिक स्तर पर फर्जीवाड़े की जांच करवाई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सख्त कार्रवाई के लिए एसआईटी जांच के निर्देश दिए हैं। एसआईटी की जांच में यह सामने आएगा कि ट्विन टावर को मंजूरी देने में जो फर्जीवाड़ा हुआ उसके लिए अथॉरिटी के कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं। 2004 से शुरू हुए सुपरटेक बिल्डर के इस प्रॉजेक्ट में आखिरी संशोधन 2012 में हुआ। इस तरह से जांच के दायरे में नोएडा अथॉरिटी के 2004 से लेकर 2012 के बीच तैनात प्लानिंग विभाग, एसीईओ, सीईओ व अध्यक्ष के पद पर तैनात अधिकारी होंगे।

2004 से 2012 के बीच तैनात रहे ये अधिकारी

प्लानिंग विभाग-2004 से 2005 के बीच चीफ आर्किटेक्ट एंड टाउन प्लानर त्रिभुवन सिंह रहे। इसके बाद 2006 से 2012 के बीच चीफ आर्किटेक्ट एंड टाउन प्लानर राजपाल कौशिक रहे। इन दोनों अधिकारियों के समय में टाउन प्लानर एसके मिश्रा और रितुराज रहे हैं।

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एसीईओ के पद पर तैनात रहे अफसर

10 सितंबर 2003 से जून 2004 देवाशीष पांडा
22 जुलाई 2004 से 10 जनवरी 2005 तक टी वेंकटेश
27 फरवरी 2004 से 27 मई 2004 शालिनी प्रसाद

6 फरवरी 2004 से 8 अप्रैल 2005 राधा एस चौहान
24 जुलाई 2004 से 7 जुलाई 2005 अमित कृष्ण चतुर्वेदी
2 मार्च 2005 से 14 जुलाई 2005 एमएम मिश्रा
11 नवंबर 2005 से 22 जून 2007 के रविंद्र नायक
17 मई 2007 से 12 जून 2008 योगेंद्र कुमार बहल
12 जून 2008 से 23 जनवरी 2009 सुशील कुमार
14 फरवरी 2009 से 30 जून 2010, प्रमोदन नरायन बाथम
21 फरवरी 2009 से 6 अक्टूबर 2009 रवि प्रकाश अरोड़ा
7 जुलाई 2010 से 15 सितंबर 2010 पीसीएस आनंद वर्धन
12 अगस्त 2011 से 7 मई 2012 अनिल राज कुमार
7 मई 2012 से 14 मई 2013 प्रमांशू

नोएडा अथॉरिटी में सीईओ व अध्यक्ष के पद पर तैनात आईएएस

31 दिसंबर 2003 से 29 मई 2004 विनोद मल्होत्रा (चेयरमैन-सीईओ)
29 मई 2004 से 11 जुलाई 2005 देवदत्त (चेयरमैन-सीईओ)
11 जुलाई 2005 से 15 सितंबर 2005 अवनीश अवस्थी (सीईओ)
15 सितंबर 2005 से 16 मई 2007 संजीव सरन (सीईओ)
16 मई 2007 से 24 जुलाई 2007 मोनिका गर्ग (सीईओ)

24 जुलाई 2007 से 22 अक्टूबर 2007 बलविंदर कुमार (सीईओ)
22 अक्टूबर से 30 सितंबर ललित श्रीवास्तव (सीईओ का अतिरिक्त प्रभार)
30 नवंबर 2007 से 14 दिसंबर 2010 मोहिंदर सिंह (सीईओ)
1 जनवरी 2010 से 19 जुलाई 2011 मोहिंदर सिंह (अध्यक्ष)
14 दिसंबर 2010 से 19 जुलाई 2011 रमा रमण (सीईओ)
19 जुलाई 2011 से 1 नवंबर 2011 बलविंदर कुमार (चेयरमैन- सीईओ)
1 नवंबर से 2 नवंबर 2011 मोहिंदर सिंह (चेयरमैन-सीईओ)
2 नवंबर 2011 से 20 नवंबर 2011 जीवेश नंदन (सीईओ)
20 नवंबर 2011 से 19 दिसंबर 2011 रमा रमण (सीईओ)
19 दिसंबर 2011 से 17 मार्च 2012 एस के द्विवेदी (सीईओ)
1 नवंबर 2011 से 20 मार्च 2012 मोहिंदर सिंह (अध्यक्ष)
17 मार्च 2012 से 4 मई 2012 अनिल राजकुमार (सीईओ का प्रभार)
20 मार्च 2012 से 5 मई 2012 अनिल राजकुमार (अध्यक्ष का प्रभार)
4 मई 2012 से 21 जनवरी 2013 संजीव सरन (सीईओ)

वैसे यहां एक बात और नोटिस करने लायक है कि नोएडा अथॉरिटी की प्राथमिक जांच में जिन 6 अधिकारियों के नाम सामने आए हैं उनमें कोई भी सीईओ स्तर का बड़ा अधिकारी नहीं है। एक प्रशासनिक अधिकारी का नाम है, वह ओएसडी थे या एसीईओ यह भी अभी स्पष्ट नहीं है। सूत्रों की माने तो प्राधिकरण द्वारा शासन को 6 अधिकारियों के नाम भेजे गए जो प्लानिंग व छोटे अधिकारी है। लेकिन अब पूरे मामले में एसआईटी जांच करेंगी।