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अब बोले अमेरिकी सांसद, शक्तिशाली भारत ही रोक सकता है चीन की इस बढ़ती ‘आधिपत्य वाली सोच’ को!

अमेरिका के कई नेताओं का तो ये भी मानना है कि उनके देश की जितनी भी कंपनियां हैं उनको चीन से अपना कारोबार समेटकर भारत में प्लांट लगाना चाहिए।

नई दिल्ली। एक तरफ कोरोना संकट से दुनिया बेहाल है। दूसरी तरफ दुनिया के कई देश इस वैश्विक संकट के लिए चीन को जिम्मेदार बता रहे हैं। वहीं अमेरिका इसके लिए खुलकर चीन का विरोध कर रहा है। अमेरिका के कई नेताओं का तो ये भी मानना है कि उनके देश की जितनी भी कंपनियां हैं उनको चीन से अपना कारोबार समेटकर भारत में प्लांट लगाना चाहिए।

वहीं अब अमेरिका के एक वरिष्ठ सीनेटर ने कई मुद्दों को लेकर वाशिंगटन और बीजिंग के बीच चल रहे वाकयुद्ध के बीच कहा है कि एक संपन्न, शक्तिशाली और लोकतांत्रिक भारत, चीन की ‘‘आधिपत्य की महत्वाकांक्षाओं’’ को विफल करने में मददगार होगा।

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आपको बता दें कि व्यापार, कोरोना वायरस की उत्पत्ति, हांगकांग में बीजिंग की कार्रवाई और विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों को लेकर अमेरिका और चीन में तनातनी चल रही है।

टेक्सास से रिपब्लिकन सांसद जॉन कोर्निन ने ट्वीट किया कि, ‘‘एक संपन्न, शक्तिशाली और लोकतांत्रिक भारत चीन की आधिपत्य जमाने की महत्वाकांक्षाओं को नाकाम करने में मददगार होगा।’’ कोर्निन ने ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ में वाल्टर रसेल मीड द्वारा लिखा गया एक आलेख भी साझा किया जिसमें अमेरिकी विद्वान ने कहा कि भारत को दीर्घकालीन वृद्धि दर बढ़ाने में मदद करना अमेरिका की विदेश नीति के शीर्ष लक्ष्यों में से एक होना चाहिए।

उन्होंने लिखा, ‘‘अमेरिका को अपने सबसे महत्वपूर्ण शीत युद्ध में जीत उन देशों को अमीर बनाने में मदद करके मिली जिससे उसकी खुद की सुरक्षा और समृद्धि को फायदा मिला। इस रुख को फिर से अपनाने की आवश्यकता है और भारत से इसकी शुरुआत होनी चाहिए।’’ मीड ने कहा कि चीन के साथ नए शीत युद्ध में भारत, अमेरिका का स्वाभाविक सहयोगी है।