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Chandrayaan 3: भारत के चंद्रयान-3 के लिए कल का दिन अहम, चांद की सतह पर उतारने के लिए ये काम करेंगे इसरो के वैज्ञानिक

चंद्रयान को इसरो ने 23 अगस्त शाम 5.47 बजे चांद की सतह पर उतारने का प्रोग्राम रखा है। चंद्रयान-2 के चांद पर उतरते वक्त दुर्घटनाग्रस्त होकर नष्ट होने से इसरो ने कई सबक लिए हैं और इससे चंद्रयान-3 को ज्यादा सुरक्षित बनाया है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर से 5वां इंजन हटा दिया गया है।

बेंगलुरु। भारत के चंद्रयान-3 अभियान में कल यानी 16 अगस्त का दिन काफी अहम होने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो कल चंद्रयान-3 को चांद के और करीब ले जाएगा। चांद की कक्षा में चंद्रयान-3 को 100X100 किलोमीटर की कक्षा में बुधवार सुबह स्थापित किया जाना है। इस कक्षा में स्थापित किए जाने के बाद ही चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर उतरने का काम अमली जामा पहनेगा। चंद्रयान-3 अभी 150X175 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में चांद का चक्कर लगा रहा है। बुधवार सुबह चंद्रयान को इसरो के वैज्ञानिक चांद के चारों ओर गोलाकार कक्षा में पहुंचाएंगे।

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इसरो से मिली जानकारी के मुताबिक चांद के चारों तरफ 100X100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चंद्रयान-3 को पहुंचाने का काम सुबह 8.30 बजे के आसपास किया जाएगा। इसके लिए चंद्रयान-3 में लगे रॉकेट थ्रस्टर्स का इस्तेमाल होगा। इन थ्रस्टर्स को कुछ देर तक चलाया जाएगा। जिससे चंद्रयान-3 अपनी मौजूदा कक्षा से नीचे चांद के और करीब पहुंच जाएगा। 100X100 किलोमीटर की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान-3 धरती के उपग्रह के चक्कर लगाना शुरू करेगा। इसके बाद अगला अहम पड़ाव 17 अगस्त यानी गुरुवार को आएगा। गुरुवार को चंद्रयान-3 का मून मॉड्यूल और विक्रम लैंडर अलग हो जाएंगे और चांद का चक्कर लगाने लगेंगे।

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चंद्रयान को इसरो ने 23 अगस्त शाम 5.47 बजे चांद की सतह पर उतारने का प्रोग्राम रखा है। चंद्रयान-2 के चांद पर उतरते वक्त दुर्घटनाग्रस्त होकर नष्ट होने से इसरो ने कई सबक लिए हैं और इससे चंद्रयान-3 को ज्यादा सुरक्षित बनाया है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर से 5वां इंजन हटा दिया गया है। विक्रम लैंडर के स्टैंड को भी ज्यादा मजबूत बनाया गया है। ताकि ये 3 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से भी चांद की सतह पर उतर सके। इसके अलावा लैंडर को ऐसा बनाया गया है कि अगर कोई सिस्टम काम न भी करे, तो भी वो चांद की सतह पर सकुशल उतर सके। अब पूरी दुनिया की नजरें इसरो के वैज्ञानिकों पर टिकी हैं। अगर इसरो चंद्रयान-3 को सफलता से चांद पर उतरता है, तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस उपलब्धि को हासिल करने वाला भारत चौथा देश हो जाएगा।