नई दिल्ली। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (IT Minister Ashwini Vaishnaw) ने आज पेगासस स्पाईवेयर (Pegasus Snooping) के जरिए कथित तौर पर फोन कॉल्स की निगरानी की खबरों पर राज्यसभा में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि संसद सत्र से पहले इस तरह की खबर सामने लाकर सनसनी फैलाने की कोशिश की गई। अश्विनी वैष्णव ने सदन में भारी शोर शराबे के बीच कहा कि संसद सत्र के एक दिन पहले इस मामले को उछाला जाना महज संयोग नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पहले भी पेगासस का इस्तेमाल वाट्सएप की निगरानी करने के बारे में दावे किए गए थे। उन दावों का भी इस बार किए गए दावे की तरह कोई आधार नहीं था और सभी पक्षों ने इससे सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई के दौरान इनकार किया था।
#WATCH A highly sensational story was published by a web portal on July 18. Many over-the-top allegations made around this story. The press reports appeared a day before monsoon session of Parliament. This can’t be a coincidence: IT Minister Ashwini Vaishnaw on ‘Pegasus Project’ pic.twitter.com/uoYjqaUUJo
— ANI (@ANI) July 22, 2021
बता दें, कि इससे पहले पेगासस स्पाईवेयर से निगरानी के मामले में खबर देने वाले मीडिया संस्थानों के फरेब का खुलासा इस मामले में फोन की जांच करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन एमनेस्टी के बयान से हो गया था। एमनेस्टी ने साफ कहा है कि उसने मीडिया संस्थानों को जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें उसने कहीं नहीं कहा कि जांच किए गए फोन की निगरानी पेगासस से हुई।
एमनेस्टी ने अपने बयान में साफ कहा है कि मीडिया समूहों ने खुद ही पेगासस से निगरानी किए जाने की खबर चला दी। जबकि, उसने अपनी रिपोर्ट में सिर्फ इतना कहा था कि इन सभी फोन की निगरानी हो सकता है कि पेगासस की गई हो। एमनेस्टी की लिस्ट में कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी का भी नाम था। जबकि, संस्था ने राहुल के किसी भी फोन की जांच नहीं की। बावजूद इसके कुछ मीडिया संस्थानों ने लिख दिया कि पेगासस के जरिए राहुल गांधी के फोन की भी निगरानी की गई। कुल मिलाकर मोदी सरकार के खिलाफ दागा गया पेगासस नाम का पटाखा फुस्स हो गया है।