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कैलाश मानसरोवर जाना होगा आसान, केंद्र सरकार की कोशिश से इस तरह तैयार की गई सड़क

इस नई सड़क से तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को मदद मिलेगी। ये लिपुलेख दर्रे से लगभग 90 किलोमीटर दूर है।

नई दिल्ली। देश में कोरोनाकाल के बीच हर तरफ लॉकडाउन लगा हुआ है। लेकिन इस बीच कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वालों के लिए तिब्बत को जोड़ने वाली सड़क को लेकर एक अच्छी खबर आई है। वहीं देश में ये शायद पहला मौका है जब किसी रोड को बनाने में चिनूक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया।

उम्मीद है कि इस नई सड़क से तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को मदद मिलेगी। ये लिपुलेख दर्रे से लगभग 90 किलोमीटर दूर है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में चीन की सीमा से लगते लिपुलेख दर्रे को 17 हजार फुट की ऊंचाई पर धारचूला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी एक सड़क का शुक्रवार को उद्घाटन किया।

चिनूक हेलीकॉप्टर का हुआ इस्तेमाल

बता दें कि सड़क का निर्माण 2008 में शुरू हुआ था और इसे 2013 तक पूरा होना था। लेकिन नजंग से बूंदी गांव के बीच काफी दुर्गम क्षेत्र होने के कारण इसमें काफी देरी हुई। ये दूरी 15 किलोमीटर की थी। इसे बनाने के लिए अमेरिका से खरीदे गए अति आधुनिक चिनूक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया. रोड बनाने के लिए कई तरह के सामान इस हेलीकॉप्टर से लाए गए।

हेलीकॉप्टर से पहुंचाया गया समान

बता दें कि चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से युद्ध से जुड़े हथियारों को ले जाने में मदद मिलती है। इसके अलावा इससे प्राकृतिक आपदा के दौरान चलने वाले सैन्य अभियानों में भी मदद मिलती है. प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों में ले जाने और राहत सामग्री जुटाने में मदद मिलती है। ठीक इसी तर्ज पर रोड बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सामानों को इस हेलीकॉप्टर से भेजा गया। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक ट्वीट में इस प्रोजेक्ट से जुड़ी तस्वीरों को शेयर किया है। यहां देखा जा सकता है कि चिनूक हेलीकॉप्टर से सामान पहुंचाया जा रहा है।

8,048 करोड़ का सौदा

भारत ने सितंबर 2015 में बोइंग के साथ 8,048 करोड़ रुपये में 15 सीएच-47 एफ़ चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट किया था। ये हेलीकॉप्टर बेहद भारी भरकम सामान को ले जाने में सक्षम है। इस हेलीकॉप्टर की ख़ासियत है कि यह छोटे हेलीपैड और घनी घाटियों में भी उतर सकता है।