newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

CM Kejriwal: टशन में आकर कर दिया वादा, अब जब पूरा करने की बारी आई, तो फुस्स हो गई केजरीवाल सरकार

सीएम के वादे का दिल्लीवासियों ने जमकर स्वागत किया। खासकर दिल्ली के प्रशिक्षु खिलाड़ियों को एक नई उम्मीद मिली। लेकिन अफसोस केजरीवाल साहब तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद भी दिल्लीवासियों की इन उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाए।

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बड़े ही निराले किस्म के राजनेता हैं। पहले तो वे टशन में आकर जनता को रिझाने के वास्ते बड़े-बड़े वादे कर जाते हैं, लेकिन जब उन्हें पूरा करने की बारी आती है, तो पतली गली से निकल जाते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि भइया ऐसी कौन-सी गलती हो गई केजरीवाल साहब से कि आप इस तरह की रोषात्मक भूमिका उनके संदर्भ में रचाए जा रहे हैं। आखिरा माजरा क्या है। तो साहब आप माजरे की चिंता छोड़िए। पहले तो आप समझिए यह क्रोनोलॉजी। तो तारीख थी 3 अक्टूबर। साल था 2019। और किरदार थे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल। और इस किरदार ने एक वादा किया था। और वादा था मुंडका में खेल विश्वविद्यालय बनाने का। इस विश्वविद्यालय को बनाने के पीछे का मकसद यह था कि राजधानी के युवाओं को खेल के विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त हो सकें। इसके इतर खेल को भी अन्यत्र शिक्षाओं की भांति एक रोजगारपरक की शक्ल प्रदान की जाए।  सीएम के वादे का दिल्लीवासियों ने जमकर स्वागत किया। खासकर दिल्ली के प्रशिक्षु खिलाड़ियों को एक नई उम्मीद मिली। लेकिन अफसोस केजरीवाल साहब दो वर्ष बीत जाने के बावजूद भी दिल्लीवासियों की इन उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाए। इसके विपरीत खेल विश्वविद्यालय के नाम पर करोड़ों रूपए विज्ञापन में खर्च करने से गुरेज नहीं किया। अब लोगों को यह बात कतई हज़म नहीं हो रही है कि तीन वर्ष बीत के जाने के बावजूद भी यूनिवर्सिटी की एक ईंट तक डाली नहीं गई है और विज्ञापन के नाम पर करोड़ों रूपए का पलीता लगा दिया। आखिर ऐसा क्यो?

Kejriwal's direct appeal to Akali workers a 'surrender speech': SAD | Cities News,The Indian Express

समझ से परे ही है कि सीएम केजरीवाल राज्यसभा से लेकर लोकसभा में खेल विश्वविद्यालय के संदर्भ में लाए गए विधेयकों को दोनों सदनों से पारित करवा चुके हैं। विश्वविद्यालय के कुलपित भी नियुक्त किए जा चुके हैं। सभी तैयारियों को कर चुके हैं। यहां तक खेल के संदर्भ में खिलाड़ियों को ज्ञान देने हेतु अन्यत्र रूपरेखाएं भी तैयार की जा चुकी हैं, लेकिन अभी तक यूनिवर्सिटी को मूर्त रूप देने की दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। आखिर ऐसा क्यों और विज्ञापन के नाम पर करोड़ों रुपए अलग से खर्च कर दिए गए हैं। बता दें कि दिल्ली सरकार मुंडका में खेल विश्वविद्यालय बनाने हेतु 90 एकड़ जमीन चिन्हित कर चुकी है। इस संदर्भ में विगत दिनों उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि हम खेल विश्वविद्यालय बनाने हेतु जमीन भी आवंटित कर चुके हैं। हमारे पास सब कुछ है। कुलपति की भी नियुक्ति की जा चुकी है। चलिए, अगर उपमुख्यमंत्री की इन बातों को मान भी लिया जाए, तो अब सवाल यह है कि आखिर वे अब इन उक्त कथनों को कब चरितार्थ करने जा रहे हैं।

उधर, इस संदर्भ में स्थानीय विधायक का कहना है कि इसे लेकर अभी कुछ भी अंतिम टिप्पणी करना अतिशयोक्ति हो सकती है। लिहाजा विधायक साहब भी कुछ कहने से गुरेज करना ही मुनासिब समझ रहे हैं। वहीं, स्थानीय बाशिंदों का कहना है कि केजरीवाल सरकार अपने वादों को लेकर उदासीन नजर आ रही है। केजरीवाल सरकार के रवैयों से लगता नहीं है कि वे खेल विश्वविद्यालय बनाने को लेकर तनिक भी गंभीर है। अगर होती तो आज हमारे बच्चों को खेलने के लिए दूसरी जगह नहीं जाना पड़ता, बल्कि उन्हें यही पर रहते हुए विभिन्न खेलों के संदर्भ में विधिवत ज्ञान मिल जाता, मगर मौजूदा सरकार महज चुनावी फायदों को ध्यान में रखते हुए वादे करना जानती है, बल्कि उसे पूरा करना बिल्कुल भी नहीं।

Arvind Kejriwal slapped | From eggs to shoes, list of attacks on AAP chief - Elections News

कुलपित को प्रतिमाह 11,500 रूपए विशेष भत्ते के रूप में प्रदान किए जाते हैं, लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बावजूद भी केजरीवाल सरकार ने अपने वादे को मूर्त रूप देने की दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया है। अभी तक केजरीवाल सरकार की तरफ से इस संदर्भ में कोई भी टेंडर पास नहीं किया गया है। अपने वादे को लेकर दिल्ली सरकार पूरी तरह से उदासीन नजर आ रही है। बिल्कुल निष्क्रिय। वहीं, खेल के नाम पर दिल्ली सरकार 1 करोड़ 71 लाख रूपए खर्च कर चुकी है। अब ऐसी स्थिति में केजरीवाल सरकार का यह वादा महज चुनावी शिगूफा था यह वह इसे पूरा करने के मूड में है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।