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J&K: जम्मू-कश्मीर में रेलवे ने कर दिखाया कमाल, सख्त पहाड़ को भेदकर बना डाली 2 किलोमीटर लंबी सुरंग

जिस सुरंग को आर-पार यानी ब्रेकथ्रू करने में सफलता मिली है, उसे टी-77 डी का नाम दिया गया है। सुरंग की खोदाई का काम दोनों तरफ से दो टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा था। ये सुरंग बनिहाल और अर्पिचला को जोड़ने का काम करेगी। खास बात ये है कि सुरंग रामबन जिले के बनकूट गांव के नीचे से बनाई गई है।

जम्मू। रेलवे को जम्मू से श्रीनगर रेल रूट बनाने में एक बड़ी कामयाबी मिली है। रेलवे के इंजीनियरों ने ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला खंड में रियासी और बनिहाल के बीच करीब 2 किलोमीटर लंबी सुरंग खोदने में सफलता हासिल की है। इस टनल को काफी समय से बनाया जा रहा था। ऑस्ट्रियाई तकनीक से बन रही सुरंग शुक्रवार को आर-पार हो गई। रेलवे की ये अति महत्वाकांक्षी और चुनौती से भरी रेल परियोजना है। ये परियोजना शिवालिक पहाड़ियों से पीर पंजाल पहाड़ियों से होते हुए बननी है। यहां ऊंचे पहाड़, चट्टान और भूकंप वाले इलाके होने की वजह से रेल कनेक्टिविटी को मजबूत रखना बड़ी चुनौती है।

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जिस सुरंग को आर-पार यानी ब्रेकथ्रू करने में सफलता मिली है, उसे टी-77 डी का नाम दिया गया है। सुरंग की खोदाई का काम दोनों तरफ से दो टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा था। ये सुरंग बनिहाल और अर्पिचला को जोड़ने का काम करेगी। खास बात ये है कि सुरंग रामबन जिले के बनकूट गांव के नीचे से बनाई गई है। जम्मू-श्रीनगर रेल खंड को चार हिस्सों में बांटा गया था। पहला हिस्सा 25 किलोमीटर लंबा ऊधमपुर से कटड़ा तक है। इसके बाद 111 किलोमीटर लंबा कटड़ा से बनिहाल, तीसरा 18 किलोमीटर लंबा बनिहाल से काजीगुंड और चौथा 118 किलोमीटर लंबा काजीगुंड से बारामुला खंड है। इसमें से 161 किलोमीटर के रेल मार्ग पर पहले ही ट्रेनें चल रही हैं।

जिस कटड़ा और बनिहाल रेल खंड पर अभी काम चल रहा है, वो सबसे चुनौती वाला है। यहां 90 फीसदी से ज्यादा ट्रैक पुलों और सुरंगों से होकर गुजरने वाला है। इस खंड पर 9 स्टेशन भी होंगे। रामबन और रियासी में पहाड़ काफी ऊंचाई वाले हैं। यहां से सुरंग बनाने का काम काफी चुनौती से भरा है। इसी खंड पर चिनाब नदी पर सबसे ऊंचा पुल बन रहा है। देश की सबसे लंबी रेल सुरंग भी इसी खंड में बनाई जा रही है। इस सुरंग की लंबाई 12 किलोमीटर से ज्यादा है।