नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर राज्य के भारत में विलय के मामले में एक ट्वीट कर कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश निशाने पर आ गए। जयराम रमेश ने कश्मीर के विलय के मुद्दे पर ट्वीट करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया था। मोदी सरकार में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जयराम के ट्वीट पर पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू के संसद में दिए गए बयान की जानकारी देकर कांग्रेस नेता के दावे की बखिया उधेड़ दी। किरेन रिजिजू ने पलटवार किया और कहा कि देश आज भी पहले पीएम नेहरू की गलतियों की कीमत चुका रहा है। पहले आपको बताते हैं कि जयराम रमेश ने क्या लिखा था।
1. Maharaja Hari Singh dithered on accession. There were dreams of independence. But when Pakistan invaded, Hari Singh acceeded to India.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 11, 2022
जयराम रमेश ने अपने कई ट्वीट्स में लिखा था कि मोदी ने फिर असली इतिहास पर पर्दा डाल दिया। महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर के विलय को लेकर संशय में थे। वहां आजादी के सपने देखे जा रहे थे, लेकिन जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया, तब हरि सिंह ने भारत से अपने राज्य का विलय किया। जयराम रमेश ने ये भी लिखा कि शेख अब्दुल्ला गांधी का सम्मान करते थे और नेहरू से अपनी दोस्ती की प्रशंसा करते थे। इसी वजह से उन्होंने भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने ये भी लिखा कि सरदार पटेल 13 सितंबर 1947 तक जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में विलय के पक्ष में थे। तब जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान में अपने राज्य को मिलाने की बात कह चुका था।
Nehru speaking in Lok Sabha on 24th July, 1952 (After agreement with Sheikh Abdullah).
The first time Maharaja Hari Singh approached Nehru for accession to India was July 1947 itself, a full month before Independence.
It was Nehru who rebuffed the Maharaja. 2/6 pic.twitter.com/o00mvOXlVQ— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) October 12, 2022
जयराम रमेश के इस ट्वीट पर जवाब देते हुए किरेन रिजिजू ने ट्वीट्स की झड़ी लगा दी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विलय के मामले में संसद में जवाहरलाल नेहरू के बयान का हवाला दिया। रिजिजू ने लिखा कि नेहरू की संदिग्ध भूमिका की रक्षा के लिए लंबे वक्त तक ऐतिहासिक झूठ बोला जाता रहा। ये झूठ था कि महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के सवाल को टाल दिया था। 24 जुलाई 1952 को संसद में नेहरू के बयान का हवाला देते हुए रिजिजू ने लिखा कि महाराजा हरि सिंह ने तो देश की आजादी के एक महीने पहले जुलाई 1947 में ही नेहरू से संपर्क किया था, लेकिन नेहरू कुछ ‘विशेष कारणों’ की बात कह रहे थे। इसी पर उन्होंने विलय करने की महाराजा की बात को नामंजूर कर दिया था। नेहरू तो अक्टूबर 1947 में भी टालमटोल कर रहे थे, जब पाकिस्तानी कबायली के रूप में श्रीनगर के पास तक पहुंच गए थे।