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Rijiju Vs Jairam: जम्मू-कश्मीर विलय के मसले पर PM मोदी पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने साधा निशाना, कानून मंत्री रिजिजू ने पलटवार में खोली पोल

जम्मू-कश्मीर राज्य के भारत में विलय के मामले में एक ट्वीट कर कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश निशाने पर आ गए। जयराम रमेश ने कश्मीर के विलय के मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया था। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पीएम नेहरू के संसद में दिए गए बयान की जानकारी देकर कांग्रेस नेता के दावे की बखिया उधेड़ दी।

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर राज्य के भारत में विलय के मामले में एक ट्वीट कर कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश निशाने पर आ गए। जयराम रमेश ने कश्मीर के विलय के मुद्दे पर ट्वीट करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया था। मोदी सरकार में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जयराम के ट्वीट पर पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू के संसद में दिए गए बयान की जानकारी देकर कांग्रेस नेता के दावे की बखिया उधेड़ दी। किरेन रिजिजू ने पलटवार किया और कहा कि देश आज भी पहले पीएम नेहरू की गलतियों की कीमत चुका रहा है। पहले आपको बताते हैं कि जयराम रमेश ने क्या लिखा था।

जयराम रमेश ने अपने कई ट्वीट्स में लिखा था कि मोदी ने फिर असली इतिहास पर पर्दा डाल दिया। महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर के विलय को लेकर संशय में थे। वहां आजादी के सपने देखे जा रहे थे, लेकिन जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया, तब हरि सिंह ने भारत से अपने राज्य का विलय किया। जयराम रमेश ने ये भी लिखा कि शेख अब्दुल्ला गांधी का सम्मान करते थे और नेहरू से अपनी दोस्ती की प्रशंसा करते थे। इसी वजह से उन्होंने भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने ये भी लिखा कि सरदार पटेल 13 सितंबर 1947 तक जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में विलय के पक्ष में थे। तब जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान में अपने राज्य को मिलाने की बात कह चुका था।

जयराम रमेश के इस ट्वीट पर जवाब देते हुए किरेन रिजिजू ने ट्वीट्स की झड़ी लगा दी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विलय के मामले में संसद में जवाहरलाल नेहरू के बयान का हवाला दिया। रिजिजू ने लिखा कि नेहरू की संदिग्ध भूमिका की रक्षा के लिए लंबे वक्त तक ऐतिहासिक झूठ बोला जाता रहा। ये झूठ था कि महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के सवाल को टाल दिया था। 24 जुलाई 1952 को संसद में नेहरू के बयान का हवाला देते हुए रिजिजू ने लिखा कि महाराजा हरि सिंह ने तो देश की आजादी के एक महीने पहले जुलाई 1947 में ही नेहरू से संपर्क किया था, लेकिन नेहरू कुछ ‘विशेष कारणों’ की बात कह रहे थे। इसी पर उन्होंने विलय करने की महाराजा की बात को नामंजूर कर दिया था। नेहरू तो अक्टूबर 1947 में भी टालमटोल कर रहे थे, जब पाकिस्तानी कबायली के रूप में श्रीनगर के पास तक पहुंच गए थे।

maharaja hari singh and nehru
महाराजा हरि सिंह और जवाहरलाल नेहरू (फाइल फोटो)