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Mayawati Rejects Alliance: न्यूजरूम पोस्ट की खबर सही साबित हुई, मायावती ने किसी भी गठबंधन से किया इनकार; इन 3 वजह से लिया अहम फैसला?

Mayawati Rejects Alliance: इससे पहले खबर थी कि मायावती इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन सकती हैं, लेकिन यूपी की 30 सीटें बीएसपी के लिए मांगी हैं। खबर ये भी थी कि कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने मायावती से मिलकर जन्मदिन पर बधाई देने का आग्रह भी किया है। इन चर्चाओं का भी दम आज निकल गया।

लखनऊ। जैसा कि सुबह ही newsroompost.com ने अपनी खबर में अंदेशा जताया था, वैसा ही हुआ। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव में एकला चलो और किसी से गठबंधन न करो के फॉर्मूले को मानने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि मायावती के इस अहम फैसले की 3 वजह हैं। पहला तो ये कि कांग्रेस के खिलाफ मायावती लगातार बयान देती रही हैं। राजस्थान में जिस तरह बीएसपी के विधायकों को तोड़कर कांग्रेस ने गहलोत सरकार चलाई, वो मायावती भूली नहीं हैं। दूसरी वजह समाजवादी पार्टी है। समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन में है और मायावती और अखिलेश यादव भले ही एक बार साथ आ चुके हों, लेकिन दोनों के बीच गठबंधन टूटने के बाद से मायावती लगातार अखिलेश यादव पर हमलावर रही हैं। बीती 8 जनवरी को भी मायावती ने सपा पर जमकर निशाना साधा था और उसे दलित विरोधी बताया था। इसके अलावा पंजाब में मायावती की बीएसपी का अकाली दल से समझौता है। अकाली दल भी कांग्रेस की धुर विरोधी है। ऐसे में कांग्रेस के साथ किसी गठबंधन में जाने से अकाली दल से समझौता टूटने का भी खतरा था।

इससे पहले खबर आई थी कि मायावती इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन सकती हैं, लेकिन इसके लिए यूपी की 30 सीटें बीएसपी के लिए मांगी हैं। खबर ये भी थी कि कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने मायावती से मिलकर जन्मदिन पर बधाई देने का आग्रह भी बीएसपी सुप्रीमो से किया है। इन चर्चाओं में कितना दम था, ये आज मायावती के किसी गठबंधन में शामिल न होने के एलान से पता चल गया है। बहरहाल, अब मायावती यूपी की तमाम लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भले ही मायावती की बीएसपी को करारी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी यूपी की 10 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी।

अब देखना ये है कि अगले लोकसभा चुनाव में मायावती अपनी बीएसपी के कितने प्रत्याशी मैदान में उतारती हैं, लेकिन आज के उनके फैसले से ये साफ है कि कांग्रेस समेत अन्य कई विपक्षी दल अब बीएसपी सुप्रीमो के खिलाफ बयानबाजी में उतर सकते हैं। पहले ही कई बार मायावती पर बीजेपी की मदद करने का आरोप कांग्रेस और सपा की तरफ से लगाए जाते रहे हैं, लेकिन मायावती, बीजेपी को भी हमेशा निशाने पर रखकर ऐसे आरोपों की हवा निकालती रही हैं।