नई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ ही आज देश के दूसरे पीएम लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है। लाल बहादुर शास्त्री कद में काफी छोटे थे, लेकिन वे फैसले भी बड़े लेते थे और साहस में भी वो कद्दावर थे। शास्त्री जी की जयंती पर आज लोग उन्हें याद कर रहे हैं। वहीं, उनके बेटे सुनील शास्त्री ने अपनी किताब में अपने पिता के साहस का जो वर्णन किया है, वैसा आमतौर पर नेताओं में नहीं देखा जाता। ये किस्सा साल 1965 का है। उस साल भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। सुनील शास्त्री ने अपनी किताब में लिखा है कि किस तरह उनके पिता युद्ध के मोर्चे पर गोलीबारी कर रहे पाकिस्तानी सैनिकों से आमने-सामने हुए थे।
सुनील शास्त्री ने लिखा है कि युद्ध के समय एक सुबह लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें साथ लेकर मोर्चे का दौरा किया। वो पहले पाकिस्तान के बरकी गए। जहां भारतीय फौज ने कब्जा जमा लिया था। यहां के पुलिस थाने पर भारत का झंडा फहरा रहा था। यहां से कुछ दूर ही इछोगिल नहर थी। उस नहर पर एक तरफ पाकिस्तान और दूसरी तरफ भारतीय फौज के जवान थे। दोनों पक्षों में गोलीबारी चल रही थी। बरकी का दौरा करने के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने सेना के अफसरों से कहा कि वो इछोगिल नहर भी जाना चाहते हैं। सेना के अफसरों ने उन्हें मना किया कि वहां खतरा है। सुनील शास्त्री ने किताब में लिखा है कि उनके पिता नहीं माने और कहा कि वो हर हाल में अपने जवानों का हौसला बढ़ाना चाहते हैं।
उनके ऐसा कहने और इछोगिल नहर जाने के दृढ़ फैसले के बाद सेना के जवानों की सुरक्षा में वहां ले जाया गया। सुनील शास्त्री ने लिखा है कि जवानों ने लाल बहादुर शास्त्री के आसपास 6 सुरक्षा घेरे बनाए थे। शास्त्री जी नहर तक गए और भारतीय जवानों से मिलकर उनका हौसला बढ़ाया। सुनील ये भी लिखते हैं कि वो नहर का पानी पीने के लिए जिद करने लगे। इस पर सेना के एक अफसर उन्हें नहर तक ले गए। तभी दूसरी तरफ पाकिस्तानी जवान खड़े हो गए और वे फायरिंग करने ही वाले थे कि अफसर ने सुनील को उठाया और उनको सुरक्षा घेरे में ले आए।