देवबंद। मदरसे किसी तरह सियासत से नहीं जुड़े हैं। मदरसों से आतंकवादी घटनाएं भी नहीं होतीं। हम मदरसों को किसी भी सरकारी मदद से दूर रखना चाहते हैं। मदरसे सिर्फ इस्लाम के लिए काम कर रहे हैं। ये दावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलान अरशद मदनी ने रविवार को किया। मौलाना अरशद मदनी ने देवबंद के दारुल उलूम में मदरसों के बारे में एक बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में ये दावा किया। मौलाना मदनी ने कहा कि कभी किसी ने नहीं सुना होगा कि मदरसों से किसी तरह की सियासत में हिस्सा लिया गया हो। उन्होंने किसी तरह की सरकारी मदद लेने से भी साफ मना कर दिया।
मौलाना अरशद मदनी ने ये भी कहा कि हर मजहब के लोगों की तरह हम भी अपने धर्म की हिफाजत करते हैं। समाज के साथ देश को भी धार्मिक लोगों की जरूरत है। कभी किसी ने नहीं सुना होगा कि तलबा (मदरसे में पढ़ने वालों) ने सेना भर्ती को लेकर हुए बवाल में किसी ट्रेन को फूंक दिया। अरशद मदनी ने जोर देकर दावा किया कि मदरसों और जमीयत का सियासत से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि हमने आजादी के बाद खुद को अलग-थलग कर लिया। अगर सियासत करते, तो सत्ता में बड़े हिस्सेदार भी बन सकते थे।
यूपी सरकार के मदरसा सर्वे में दारुल उलूम देवबंद के गैर मान्यता वाला होने के बारे में सवाल पूछने पर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 1866 में इस संस्थान की नींव रखी गई थी। तभी तय किया गया था कि कभी भी सरकार से कोई मदद नहीं लेंगे। मदरसों के खर्चे का बोझ कौम उठाती रही है और उठाती रहेगी। उन्होंने कहा कि मदरसों के सर्वे के मामले में यूपी सरकार का जो चेहरा दिखा है, वो अच्छा है। मदरसों के दरवाजे सभी के लिए खुले रहते हैं। जिसका जब मन करे आ और जा सकता है। उन्होंने कहा कि मदरसों के लोगों ने ही देश को आजाद कराया। दुख की बात है कि आज मदरसों पर ही सवाल उठ रहे हैं।