नई दिल्ली। कैश फॉर क्वेरी मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा आज लोकसभा की एथिक्स कमेटी के समक्ष पेश हुईं, जहां उनसे विस्तृत पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान महुआ ने कहा कि उनकी निजी जिंदगी में हस्तक्षेप करने की कोशिश की जा रही है, तो इस पर जांच अधिकारियों ने कहा कि हम यहां पर आपकी निजी जिंदगी के बारे में नहीं, बल्कि आपके ऊपर लगे गंभीर आरोपों के बारे में जानना चाहते हैं, तो इस पर सांसद ने कहा कि यह सभी आरोप राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित हैं।
हालांकि, महुआ ने यह स्वीकारा है कि उन्होंने दोस्ती की खातिर व्यापारी दर्शन हीरानंदानी से लोकसभा का पासवर्ड और लॉग इन आईडी साझा किया था, जिसे बाद में दुबई से एक या दो बार नहीं, बल्कि 47 बार लॉग इन किया गया था। ध्यान दें, लोकसभा में कई ऐसे सांसद हैं, जिन्हें इस बात के बारे में जानकारी नहीं है कि संसद द्वारा उपलब्ध कराए गए लॉग इन और पासवर्ड का उपयोग कैसे किया जाए। बता दें कि महुआ से पहली पाली की पूछताछ हो चुकी है। लंच के बाद दूसरी पाली की पूछताछ होगी। वहीं, अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है कि आखिर कौन-कौन से सवाल सांसद महुआ मोइत्रा से पूछा गया है। फिलहाल, पूछताछ मुकम्मल होने का सभी को इंतजार है, लेकिन उससे पहले आपको यह पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं, जिसकी वजह से टीएमसी सांसद की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
दरअसल, बीते दिनों बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने टीएमसी सांसद व्यापारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर उनके हित में संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। हालांकि, बाद में महुआ ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर इसे राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित बताया था। उन्होंने कहा था कि वो संसद में लगातार अदानी प्रकरण को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से तीखे सवाल कर रही है, जिसे ध्यान में रखते हुए एक सोची समझी साजिश के तहत उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। ध्यान दें, निशिकांत दुबे से पहले सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत ने महुआ के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी और हैरानी की बात यह है कि पहले अनंत देहद्रही और महुआ दोनों दोस्त थे , लेकिन दोनों के बीच बाद में कुत्ते को लेकर विवाद हो गया और रिश्ते में खटास पैदा हो गई।
उधर, इस पूरे मामले में असली ट्विस्ट, तो तब आया, जब खुद व्यापारी दर्शन हीरानंदानी ने इस पर अपना रिएक्शन दिया। उन्होंने अपने लिखे खत में यह स्वीकार किया कि महुआ से उनकी दोस्त रह चुकी है। उन्होंने कहा कि जब उनकी महुआ से मुलाकात हुई थी, तब वो विधायक थीं, लेकिन 2019 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट थमाया और वो सांसद बनने में सफल रहीं। हीरानंदानी से अपने पत्र में कहा कि सांसद बनने के बाद महुआ से उनकी नजदीकियां बढ़ीं थीं।
यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि महुआ की राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरी पकड़ रही है, लेकिन बाद में जब मुझे लगा कि वो मेरा इस्तेमाल अपने सियासी हित के लिए करने की कोशिश कर रही है, तो मैंने उनसे दूरी बना ली। बता दें कि हीरानंदानी ने अपने पत्र में महुआ पर निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि कर दी थी, जिसके बाद टीएमसी सांसद की मुश्किलें बढ़ गईं। निशिकांत दुबे और वरिष्ठ अधिवक्ता अनंत देहाद्रई कमेटी के समक्ष पेश हो चुके हैं। बहरहाल, अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।