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Gameplan: साथ छोड़ने वाले OBC नेताओं का असर कम करने की तैयारी में बीजेपी, हो सकता है ये अहम फैसला

मोदी सरकार ने साल 2017 में ओबीसी के लिए क्रीमीलेयर की सीमा को बढ़ाया था। पहले ये सीमा 6 लाख रुपए थी। जिसे 8 लाख किया गया था। अब अगर क्रीमीलेयर को बढ़ाकर 12 लाख करने का फैसला होता है, तो इसमें सैलरी और खेती से हुई कमाई को अगर अलग रखा गया, तो ओबीसी समुदाय को और ज्यादा फायदा होगा।

नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में पिछड़ी जाति यानी OBC के स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे नेताओं के एक के बाद एक साथ छोड़ने पर बीजेपी नए दांव से इन नेताओं के वोटबैंक को अपनी तरफ लाने की तैयारी में जुट गई है। ये दांव है आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर का। क्रीमीलेयर अभी 8 लाख रुपए सालाना आय है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस सीमा को बढ़ाकर 12 लाख कर सकती है। सामाजिक न्याय मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है और आने वाले दिनों में एक अधिसूचना जारी होने के पूरे आसार हैं। बता दें कि ओबीसी वर्ग को अभी 27 फीसदी रिजर्वेशन मिलता है। इसमें 8 लाख से ज्यादा आय वालों को लाभ नहीं दिया जाता।

Swami Prasad

अब आपको बताते हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार अगर ये कदम उठाती है, तो इसका क्या असर पड़ सकता है। यूपी में करीब 45 फीसदी ओबीसी हैं। ओबीसी वोटर 100 सीटों पर जीत और हार तय करते हैं। अगर क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाने का फैसला मोदी सरकार करती है, तो इस समुदाय के नेताओं के साथ छोड़ने के बावजूद वोटरों में बीजेपी के प्रति आकर्षण बना रह सकता है। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले इस तरह का दांव खेलकर बीजेपी साथ छोड़ने वाले नेताओं के उन आरोपों को भी जवाब दे सकेगी, जिसमें उन्होंने पार्टी को दलित और पिछड़ा विरोधी बताया है।

dara singh chauhan

बता दें कि मोदी सरकार ने साल 2017 में ओबीसी के लिए क्रीमीलेयर की सीमा को बढ़ाया था। पहले ये सीमा 6 लाख रुपए थी। जिसे 8 लाख किया गया था। अब अगर क्रीमीलेयर को बढ़ाकर 12 लाख करने का फैसला होता है, तो इसमें सैलरी और खेती से हुई कमाई को अगर अलग रखा गया, तो ओबीसी समुदाय को और ज्यादा फायदा होगा। हर तीन साल में क्रीमीलेयर की परिभाषा बदलना भी होता है। इस तरह चुनाव से पहले बीजेपी इस लंबित मुद्दे पर फैसला ले सकती है। जिससे भागने वाले नेताओं के असर को यूपी में कम किया जा सके।