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Amarnath Cave Cloudburst: अमरनाथ हादसे में अब तक 15 श्रद्धालुओं की मौत की पुष्टि; 40 लापता, जवान चला रहे राहत कार्य

बारिश की वजह से हालात काफी विषम हैं। बता दें कि बीती शाम करीब साढ़े 5 बजे लगातार हो रही बारिश के दौरान अमरनाथ की पवित्र गुफा के ठीक पीछे बादल फट जाने से सैलाब आ गया था। इसी सैलाब ने जमकर तबाही मचाई और लोगों की जान ली। अब भी बचाव और राहत कार्य जारी है।

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पवित्र अमरनाथ गुफा के पीछे शुक्रवार शाम बादल फटने की घटना में अब तक 15 श्रद्धालुओं की मौत होने की खबर है। करीब 40 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीमें बचाव और लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं। केंद्र शासित प्रदेश की सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर दी है। कई हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। ताकि देशभर में जिनके रिश्तेदार यहां आए थे, उनकी जानकारी ली जा सके। बारिश की वजह से हालात काफी विषम हैं। बता दें कि बीती शाम करीब साढ़े 5 बजे लगातार हो रही बारिश के दौरान अमरनाथ की पवित्र गुफा के ठीक पीछे बादल फट जाने से सैलाब आ गया था। इसी सैलाब ने जमकर तबाही मचाई और लोगों की जान ली।

amarnath cloudburst

आपका कोई रिश्तेदार या दोस्त अगर अमरनाथ के दर्शन करने गया है, तो आप एनडीआरएफ के हेल्पलाइन नंबर 011-23438252 और 011-23438253 के अलावा कश्मीर प्रशासन की हेल्पलाइन नंबर 0194-2496240 और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के हेल्पलाइन नंबर 0194-2313149 पर जानकारी ले सकते हैं। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि राहत का काम पहले मौके पर मौजूद आईटीबीपी के जवानों ने संभाला। फिर हालात को देखकर सेना की 6 टीमें भी राहत और बचाव के काम में लगाई गईं। सेना के जवान डॉग स्क्वॉड की मदद से मलबे में दबे लोगों की तलाश लगातार जारी रखे हुए हैं। अधिकारियों के मुताबिक कल यात्रा के दौरान 8 से 10000 लोग पवित्र गुफा में भगवान अमरनाथ के पवित्र शिवलिंग के दर्शन के लिए निकले थे।

बता दें कि अमरनाथ यात्रा के दौरान प्राकृतिक आपदा की ये पहली घटना नहीं है। सबसे पहले साल 1969 में भी अमरनाथ यात्रा मार्ग पर बादल फटने की घटना हुई थी। तब हादसे में करीब 100 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी। उस हादसे को यहां हुई घटनाओं में अब तक का सबसे बड़ा माना जाता है। इस बार गुफा के ठीक पास बादल फटने की घटना और बड़ा रूप ले सकती है। जो 40 लोग लापता है, उनकी वजह से हताहतों की संख्या बढ़ने का अंदेशा है।