मुंबई। एनसीपी चीफ और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम शरद पवार सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए। इसकी वजह उनका मुस्लिम तुष्टिकरण वाला बयान है। मुंबई में शनिवार को विदर्भ मुस्लिम बौद्धिक मंच की ओर से ‘भारतीय मुसलमानों के सामने मुद्दे’ कार्यक्रम में शरद पवार ने दावा किया कि बॉलीवुड यानी मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में सबसे बड़ा योगदान मुसलमानों का रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि इस योगदान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। पवार ने कहा कि अल्पसंख्यकों और उर्दू भाषा ने देश के सभी क्षेत्रों में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि चाहे कला हो, लेखन हो या कविता हो, सबसे ज्यादा योगदान अल्पसंख्यकों का है।
शरद पवार ने कहा कि हमारे सामने बॉलीवुड है। जिन्होंने इसे शीर्ष पर ले जाने में सबसे ज्यादा योगदान दिया, वे मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। पवार ने कहा कि मुसलमान समुदाय के लोगों को लगता है कि देश का इतना बड़ा हिस्सा होने के बाद भी उनको उचित हिस्सा नहीं मिल रहा। ये वास्तविकता है। इस पर विचार करना चाहिए। सरकारी भर्ती के इम्तिहानों में उर्दू को शामिल करने की मांग की भी पवार ने तारीफ की। उन्होंने कहा कि हमें उर्दू स्कूलों और शिक्षा पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा उर्दू के साथ हमें एक राज्य की मुख्य भाषा के बारे में भी विचार करने की जरूरत है।
शरद पवार के इस बयान से सोशल मीडिया पर लोग भड़क गए। लोगों ने उनके इस बयान की काफी लानत-मलामत की। लोगों ने ये भी कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बॉलीवुड में हिंदुओं का पनपने नहीं दिया। वहीं, यूजर्स ने तंज कसते हुए ये भी कहा कि आर्ट और पोएट्री का मजहब होता है, लेकिन आतंकवाद का मजहब नहीं होता। एक यूजर ने बॉलीवुड में हिंदुओं के योगदान का भी उल्लेख कर फिल्म उद्योग से जुड़े इस समुदाय के लोगों के नाम भी लिख दिए। लोगों ने पवार के बयान पर किस तरह की प्रतिक्रिया दी, उसे आप नीचे पढ़ सकते हैं…
Gulshan kumar ka kya hua yaad hai sabko
— Trupti Garg (@garg_trupti) October 8, 2022
आर्ट, पोएट्री, राइटिंग,… सबका मजहब होता है लेकिन… लेकिन… लेकिन आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता !!!
वैसे जिनको तुम इसका श्रेय दे रहे हो उनके मजहब के ढेरों मुल्क हैं और वहां यह सब हराम है। pic.twitter.com/DBqYDuWglh
— दलीप पंचोली?? (@DalipPancholi) October 8, 2022
Bimal Roy, Rishikesh Mukherjee, Basu Chatterjee, Kishore Kumar, Rajesh Khanna, Lata Mangeshkar, Asha Bhosle, Hemanth Mukherjee, the list is endless.
— Bidisha Banerjee?? (@bidishapsgs) October 8, 2022
Dadasaheb phalke was a marathi manoos who is considered the founder of bollywood where later Muslims got job..But kaka remembers only peacefull community and gives credit to them for bwood..Yeh hai aapke so called leader and maratha asmita ka jaagirdaar in MH
— fulham fan hindustani(asli waale) (@Informaticafan) October 8, 2022
Politicians like Sharad Pawar has been singularly responsible for such subtle polarisations, communalism, minorityism & simmering resentment in majority as a result of such appeasement.
These Netas sow, fertilise, nourish such emotions & divisions to later reap vote-bank harvest.— विजेंद्र Vijendra?? (@Vijendra1Verma) October 8, 2022