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Uttarakhand: अतिक्रमण पर कोर्ट के फैसले से बिफरा मुस्लिम समुदाय, देवभूमि का हल्द्वानी बना शाहिन बाग, जानें माजरा

Uttarakhand: प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना है कि हम यहां इतने सालों से रह रहे हैं। आज से पहले तो कभी यह जमीन रेलवे की नहीं थी। लेकिन आखिर रेलवे किस आधार पर इसे अपनी जमीन बता रहा है। एक बात और। बनभूलपुरा इलाके में बसे लोगों का कहना है कि यह जमीन नोजल की है ना कि रेलवे की।

नई दिल्ली। याद तो होगा ही आपको, जब आज से दो साल पहले राजधानी दिल्ली के शाहिन बाग इलाके की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में मुस्लिम समुदाय की महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चों तक ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में कई महीनों तक विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के पीछे की वजह थी डर। डर इस बात को लेकर कि अगर सीएए लागू हुआ तो हमारी नागरिकता चली जाएगी। हालांकि, कोर्ट से लेकर संसद तक मुनादी पीटकर प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया जाता रहा कि किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी, लेकिन अफसोस इस आश्वासन का कोई असर नहीं पड़ा। नतीजा यह हुआ कि राजधानी दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन की आड़ में हिंसा की गई। जिसमें ना जाने कितने ही लोगों की दुनिया उजड़ गई।

अब एक बार फिर कुछ ऐसी ही परिस्थितियां बनती दिख रही हैं। वही विरोध। वही डर। वही हुजूम। वही आक्रोश। वही गुस्सा। अब एक बार फिर से सड़कों पर हुकूमत के खिलाफ दिख रहा है। सबकुछ वैसा ही है। अगर कुछ अलग है, तो वो है मुद्दा। जी हां…आपको बता कें कि आज से दो साल पहले लोगों को नागरिकता छीने जाने का डर था और आज डर है बेघर होने का। और इस डर को हकीकत में तब्दील करने का काम किया है उत्तराखंड हाईकोर्ट ने।जी हां… आपको बता दे कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में तकरीबन 4 हजार परिवार रहते हैं। जिसमें हिंदू, मुस्लिम सहित अन्य वर्गों के लोग शामिल हैं। इसमें मुस्लिमों की तादाद ज्यादा है। इस इलाके में हजारों परिवार पिछले एक दशक से रह रहे हैं, लेकिन अब इस पूरे मामले में नया मोड सामने आया है।

दरअसल, रेलवे ने इस जमीन को अपना बताया है। रेलवे का दावा है कि हमारी जमीन पर हजारों परिवार अवैध रूप से बसे हुए हैं। रेलवे का कहना है कि इन लोगों ने कई दशकों से रेलवे की जमीन पर कब्जा किया हुआ है। बता दें कि बीते दिनों रेलवे के इन्हीं दावों को मजमून में तब्दील कर उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। जिसे लेकर कोर्ट ने अपनी सुनवाई में रेलवे के पक्ष में अपना फैसला सुनाया और यहां बसे लोगों को मकान खाली करने का आदेश दिया। हालांकि, अब हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले पर कब सुनवाई होती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। लेकिन, उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में अभी हल्द्वानी का माहौल गर्म है। वहां बसे लोगों ने स्पष्ट कर कर दिया है कि वो लोकतंत्र का सम्मान करते हैं। न्यायपालिका सम्मान करते हैं।

संविधान का सम्मान करते हैं, लेकिन कोर्ट के फैसले को नहीं मानेंगे। उधर, लोगों द्वारा मकान नहीं खाली कराए जाने की स्थिति में सरकार की तरफ से सख्ती बरते जाने के संकेत भी दिए जा चुके हैं। सुगबुगाहट है कि अगर इन लोगों ने अपनी स्वेच्छा से घर खाली नहीं किया, तो बुलडोजर का इस्तेमाल किया जाएगा। जिसकी तस्वीर अभी से देखने को मिल रही है। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की जा चुकी है, जिससे स्पष्ट है कि आगामी दिनों में सरकार की तरफ से कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। अब ऐसी स्थिति में सरकार की तरफ से क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन  पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी प्रासंगिक हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट में कल यानी गुरुवार को सुनवाई होगी।

प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना है कि हम यहां इतने सालों से रह रहे हैं। आज से पहले तो कभी यह जमीन रेलवे की नहीं थी। अब आखिर रेलवे किस आधार पर इसे अपनी जमीन बता रहा है। एक बात और। बनभूलपुरा इलाके में बसे लोगों का कहना है कि यह जमीन नोजल की है ना कि रेलवे की। लेकिन हाईकोर्ट ने रेलवे के पक्ष में फैसला देकर पूरी स्थिति को बदल दिया है। इसके अलावा प्रदर्शन में शामिल लोगों का कहना है कि अगर सरकार हमें यहां से हटा रही है, तो हमारे रहने के लिए कहीं और व्यवस्था की जाए। हम कहां जाएंगे। बता दें कि हाईकोर्ट के इस फैसले के विरोध में पिछले कई माह से हल्द्वानी में विरोध प्रदर्शन जारी है। उधर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी इस मसले की आंच देखने को मिल रही है।