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Delhi Government: नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट ने न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर पर उठाए सवाल, कहा- दिल्ली के स्कूलों पर आपकी खबर में तथ्य ही गलत

Delhi Government: नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट ने न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर पर उठाए सवाल, कहा- दिल्ली के स्कूलों पर आपकी खबर में तथ्य ही गलत यहां हम आपको नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट (इंडिया) की वो रिपोर्ट बताएंगे जहां पर उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार की पोल खोलकर उनका सच दुनिया के सामने लाकर रख दिया है।

नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार हमेशा से अपने राज्य की व्यवस्था को लेकर खुद-ब-खुद तारीफ़ करती आई है। या कह सकते हैं अपने मियां मिट्ठू बनती आई है। कई बार जा विपक्ष उनपर व्यवस्थाओं का सुचारु रूप से प्रबंधन न होने का आरोप लगाता है तो वो तमाम उस तरह की खबरें पढ़ाने के लिए दे देते हैं जिनके शायद तथ्य अपने आप में ही सही नहीं होते हैं। जो शायद सरकार की चाटुकारिता में लगे रहते हैं। इसके अलावा उन विदेशी अखबारों को भी दिल्ली सरकार दिखाने का प्रयास करती है जो शुरुआत से भारत को गिराने का प्रयास करते हैं। उन विदेशी अखबारों को हमेशा भारत में गलतियां ही नज़र आती हैं। ये अख़बार भी चुनकर सरकारों को अच्छा और बुरा होती हैं। खबरों को छापते वक़्त कई बार ये झूठ का सहारा भी लेती हैं। भारत में तनाव बढ़े इसके लिए हमेशा ये एक सरकार के विरोध में खबरे छापकर लोगों को भटकाना चाहती हैं। जिसके पक्ष में खबरें होती हैं वो इन झूठी खबरों को भी शाबाशी के रूप में लेता है। लेकिन हाल ही में दिल्ली सरकार के दावों की पोल खुल गई और एक बड़े विदेशी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की भी चोरी पकड़ी गई कि कैसे वो सरकारों के दावों का बिना पड़ताल किए खबर छापता है। ये वही न्यूयॉर्क टाइम्स है जो लगातार मौजूदा भारत सरकार की बुराई करती रही है। वहीं दूसरी और केजरीवाल सरकार अपनी नीतियों का गुणगान करने के लिए इन विदेशी अखबार का सहारा लेते हैं। जिनमें से ज्यादातर खबरें झूठी साबित हुई हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबरों को खंडन किया है नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट (इंडिया) ने जिसने बताया है की कैसे बिना तथ्यों को जाचे न्यूयॉर्क टाइम्स ने दिल्ली सरकार के पक्ष में खबरें छाप दी हैं जो सिलसिलेवार झूठी हैं। यहां हम आपको नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट (इंडिया) की वो रिपोर्ट बताएंगे जहां पर उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार की पोल खोलकर उनका सच दुनिया के सामने लाकर रख दिया है।

दिल्ली सरकार, जो हमेशा से शिक्षा व्यवस्था और उच्च गुणवत्ता की शिक्षा के लिए अपनी पीठ थपथपाती आई है। उसी में कितना बड़ा झोल है ये साफ़ किया है इस रिपोर्ट ने। असल में न्यूयॉर्क टाइम्स ने दिल्ली राज्य के स्कूलों की तारीफ़ करते हुए खबरें छापी है| जिसमें न्यूयॉर्क टाइम्स ने दिल्ली सरकार के प्रबंधन को लेकर आप सरकार की तारीफ़ में फूल बांधे हैं। जबकि नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट (इंडिया) के मुताबिक़, न्यूयॉर्क टाइम्स की ये खबरें स्वतंत्रता, अखंडता, जिज्ञासा, समान, सहयोग, उत्कृष्टता का पालन करने में असफल रही हैं। नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट (इंडिया) ने न्यूयॉर्क टाइम्स की तमाम खबरों को झूठी और अधकचरी बताया है जिसे हम नीचे बारी बारी से बताएंगे।

 

न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर में बताया गया की दिल्ली सरकार के 100 प्रतिशत बच्चे हाई स्कूल की फाइनल साल की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। लेकिन नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट (इंडिया) के मुताबिक़ ये जानकारी आधी अधूरी है| क्योंकि भले ही दिल्ली सरकार का हाई स्कूल का रिसल्ट अच्छा रहा हो लेकिन फिर भी दिल्ली सरकार के हाई स्कूल के बच्चों का पास-पर्सेंटेज, राष्ट्रीय लेवल के पासिंग-पर्सेंटेज से नीचे है। इसके अलावा दिल्ली सरकार के ज्यादातर स्कूलों में महत्वपूर्ण और कठिन विषयों, जैसे विज्ञान और गणित को भी पढ़ाया नहीं जाता है। लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स की खबरों में इस प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं है,जबकि सरकार की तारीफ में सभी जानकारियां उपलब्ध हैं।

इसके अलावा नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट (इंडिया) दिल्ली सरकार के उन दावों की भी पोल खोलता है जहां वो कहते हैं की वो पहली सरकार हैं जो दिल्ली के स्कूलों पर सबसे ज्यादा बजट खर्च करती हैं। जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि दिल्ली की सरकारें, हमेशा से शिक्षा बजट पर अधिक पैसा व्यय करते आई है। इसके अलावा दिल्ली सरकार शिक्षा पर जो बजट खर्च करती है और केंद्र सरकार जो दिल्ली पुलिस में तैनात पुलिस बलों पर बजट व्यय करती है, दोनों ही एक सामान हैं। इस प्रकार दिल्ली सरकार जो शिक्षा पर व्यय करती है वही केंद्र सरकार पुलिस पर बजट खर्च करती है।

नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट इंडिया ने दिल्ली सरकार के दावों की निम्न बिंदुओं से पोल खोली है –

* एनसीपीसीआर की रिपोर्ट के मुताबिक़ राज्य की राजधानी दिल्ली के कुल 1027 सरकारी स्कूलों में से, केवल 203 स्कूल में ही हेडमास्टर और प्रिंसिपल हैं।

*2015 के असेम्ब्ली चुनाव की घोषणापत्र में दिल्ली सरकार ने कहा था की वो 500 नए स्कूलों का निर्माण करेंगे जबकि नए डाटा से खुलासा होता है की दिल्ली सरकार ने 2015 से अब तक केवल 28 स्कूल का ही निर्माण कराया है।

* जब दिल्ली सरकार स्कूल बनाने में नाकाम हुई तब उसने दावा किया की उसने कुल 20880 ने क्लासरूम का निर्माण कराया है जो की 500 स्कूल निर्माण के बराबर है। लेकिन आंकड़े बताते हैं की 2015 से दिल्ली सरकार के स्कूलों में सिर्फ 2459 क्लासरूम ही बन पाए हैं।

* इसके अलावा आप सरकार 7 घोषित जवाहर नवोदय विद्यालय के लिए केंद्र सरकार को दिल्ली में  जमीन दिलाने में भी असफल रही है।

* इसके अलावा शिक्षक भर्ती में भी दिल्ली सरकार फिसड्डी साबित हुई है क्योंकि अभी दिल्ली सरकार के स्कूलों में 45303 पोस्ट शिक्षक के खाली हैं जिन्हें भरना बाकी है। शिक्षकों की कमी शिक्षा के स्तर को बेहद न्यूनतम स्तर तक पहुंचाती हैं क्योंकि जब शिक्षक ही पर्याप्त नहीं होंगे तो बच्चों को समुचित शिक्षा भी मिल पाना असम्भव है।

* दिल्ली सरकार का दावा की की दिल्ली की जनता अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर अब सरकारी स्कूल में एडमिशन दिला रही है ये भी झूठ साबित हुआ है क्योंकि नेशनल सर्वे ऑफ़ इंडिया की 2021-22 की रिपोर्ट के मुताबिक जहां 2014 -2015 में दिल्ली सरकार में 30.52 प्रतिशत स्टूडेंट थे वहीं 2021-2022 में ये प्रतिशत बढ़कर 39.78 प्रतिशत हो गया है। यानी 2014 -2015 के मुकाबले 2021 -2022 में ज्यादातर बच्चों का एडमिशन प्राइवेट स्कूल में हुआ है।

इस प्रकार नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट इंडिया के मुताबिक़ जो न्यूयॉर्क टाइम्स हमेशा दावा करता है की वो तथ्यपरक खबरें और शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए सहयोग करता है उसी की खबरें संदेह के घेरे में हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबरों से ऐसा भी लगता है की उसने अपने अंतर्राष्ट्रीय संस्करण की खबर को आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए किया है। नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट इंडिया ने न्यूयॉर्क टाइम्स ने इन खबरों को वापस लेने का आग्रह किया है।