नई दिल्ली। धनशोधन मामले में पिछले कुछ माह से सलाखों के पीछे अपने दिन काट रहे महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने अपनी गिरफ्तारी के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी के विरोध में कोर्ट में याचिका दाखिल की है। हालांकि, अभी तक सुनवाई की तारीख निर्धारित नहीं हुई है। ऐसे में आगे चलकर कोर्ट का इस पूरे मसले पर क्या कुछ फैसला रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। बता दें कि इससे पहले मलिक ने अपनी गिरफ्तारी के विरोध में महाराष्ट्र हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, लेकिन उस वक्त कोर्ट की तरफ से उनकी गिरफ्तारी को बिल्कुल उचित ठहराया गया था। गौरतलब है कि नवाब मलिक को विगत 23 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद देश की राजनीति में मानो तहलका मच गया था। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में हड़कंप मच गया था।
उद्धव सरकार के तमाम मंत्री केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने पर आमदा हो गए थे। उद्धव सरकार की तरफ से केंद्र सरकार द्वारा पवर्तन निदेशालय का अनुचित प्रयोग करने का आरोप लगाया था। महाराष्ट्र सरकार का कहना था कि नवाब मलिक अल्पसंख्यक समुदाय के मंत्री हैं, इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। उधर, मलिक ने दाखिल की गई याचिका में अपनी गिरफ्तारी को गैर-कानूनी बताया है। उन्होंने कहा कि, इसलिए गिरफ्तारी अवैध है और याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों के साथ-साथ वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है, वह एक रिट के हकदार थे। वहीं, ईडी ने अपनी मलिक पर आरोप लगाया था कि वे दाऊद इब्राहिम के साथ टेरर फंडिंग में शामिल थे। लिहाजा उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
बहरहाल, अब जब मलिक ने अपनी गिरफ्तारी के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, तो ऐसी स्थिति में यह देखने वाली बात होगी कि इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट की क्या कुछ प्रतिक्रिया रहती है। अगर आपको ध्यान हो तो मलिक की गिरफ्तारी का सियासी सूरमाओं द्वारा जमकर विरोध किया गया था। केंद्र सरकार पर ईडी का अनुचित प्रयोग करने का आरोप लगा था। उनकी गिरफ्तारी के विरोध में तो यहां तक कहा गया था कि उन्हें मुस्लिम नेता होने की वजह से गिरफ्तार किया गया है।