नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में 3 अप्रैल को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना में नक्सलियों ने CRPF के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास को अगवा किया था। इसको लेकर परिवार वाले सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि राकेश्वर सिंह की रिहाई के लिए तत्काल प्रभाव से रिहा करवाया जाय। बता दें कि 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर में CRPF के जवानों और नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई थी। जिसमें 22 जवान शहीद हो गए थे और नक्सलियों ने CRPF के कमांडों को अगवा कर लिया था। जवान को रिहा करने को लेकर नक्सलियों ने अपनी तरफ से संदेश भेजा है कि कमांडो पूरी तरह सुरक्षित है। नक्सलियों ने आज कमांडो राजेश सिंह मन्हास की एक तस्वीर भी जारी की है, जिसमें राजेश सिंह मन्हास एक झोपड़ी में बैठे नजर आ रहे हैं जोकि ताड़ के पत्तों से बनी हुई है।
गौरतलब है कि जिस तस्वीर को नक्सलियों की तरफ से जारी की गई है, उसको लेकर CRPF ने भी पुष्टि कर दी है। अच्छी बात यह है कि इस तस्वीर में राकेश्वर सिंह पूरी तरह से स्वस्थ दिख रहे हैं। बता दें कि नक्सलियों ने कुछ ही समय पहले यह तस्वीर जारी की है।
First pic of 210 Cobra unit commando after encounter. Naxal release #Cobra Commando #Rakeshwar Singh Manhas pic. Official confirmation by @crpfindia.
Process in on. @indiatvnews https://t.co/f5zxEVqepe pic.twitter.com/mDmbVkEOeo— Manish Prasad (@manishindiatv) April 7, 2021
वहीं राकेश्वर सिंह की रिहाई की मांग को लेकर जवान के परिवार ने जम्मू में भी प्रदर्शन किया गया। उनका पूरा परिवार बड़ी संख्या में युवाओं के साथ जम्मू-अखनूर हाईवे पर बैठ गया। बता दें कि छत्तीसगढ़ में माओवादियों ने कल जारी किए गए अपने बयान में कहा कि शनिवार को सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र में मुठभेड़ के बाद से लापता सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन का एक जवान उनके कब्जे में है और उन्होंने जवान की रिहाई के लिए सरकार से मध्यस्थ नियुक्त करने की मांग की है।
वहीं मुठभेड़ की घटना को लेकर नक्सलियों ने माना है कि, सुरक्षाबलों द्वारा उनके चार साथी भी मारे गए हैं। मंगलवार को माओवादियों ने एक बयान जारी कर कहा कि सुरक्षा बल के दो हजार जवान 3 अप्रैल को हमला करने जीरागुडेम गांव के पास पहुंचे थे, इसे रोकने के लिए PLGA ने जवाबी हमला किया। माओवादियों ने बयान में कहा है कि हमने एक जवान को बंदी बनाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करे इसके बाद बंदी जवान को सौंप दिया जाएगा, तब तक वह जनताना सरकार की सुरक्षा में रहेगा।
माओवादियों ने इस बात को माना है कि इस मुठभेड़ में उनके चार साथी ओड़ी सन्नी, पदाम लखमा, कोवासी बदरू और नूपा सुरेश मारे गए हैं।